चुनाव से ठीक पहले अधिकारी के इन बगावती तेवरों ने ममता बनर्जी की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल ममता सरकार में परिवहन मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने हुगली रिवर ब्रिज कमीशन (HRBC) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है।
पहाड़ों पर जारी बर्फबारी के बीच मौसम विभाग ने जारी किया सबसे बड़ा अलर्ट, देश के इन राज्यों में कड़ाके की ठंड देगी दस्तक शुभेंदु अधिकारी ने ये इस्तीफा ऐसे समय दिया है, जब उनके सियासी भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। लेकिन एक कारण नहीं जिसके चलते शुभेंदु ने ममता की चिंता बढ़ाई है। इसके साथ पांच बड़ी वजह हैं जो चुनाव से पहले ममता बनर्जी के लिए परेशानी का कारण बन गई हैं।
1. एचआरबीसी से शुभेंदु का इस्तीफा
ममता सरकार में पिछले कुछ समय से शुभेंदु अधिकारी की गिनती बागी नेताओं में हो रही है। हुगली रिवर ब्रिज कमीशन (HRBC) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर शुभेंदु ने इस पर मुहर भी लगा दी है। शुभेंदु अधिकारी ने ये इस्तीफा ऐसे समय दिया है जब उनके सियासी भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं क्योंकि काफी समय से वे पार्टी से नाराज चल रहे हैं।
आपको बता दें कि एचआरबीसी बंगाल में परिवहन विभाग की तरह की एक संवैधानिक निकाय है। ऐसे में अधिकारी के इस्तीफे ने ममता के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। हालांकि अब इस पद पर भी ममता के करीबी कल्याम बनर्जी को काबिज किया गया है।
2. 65 सीटों पर पकड़
बागी तेवर अपना चुके शुभेंदु अधिकारी के पिता शिशिर अधिकारी, भाई दिब्येंदु अधिकारी भी लोकसभा सांसद हैं। नंदीग्राम आंदोलन के सूत्रधार शुभेंदु प्रदेश की 65 सीटों पर असर रखते हैं। पूर्वी मिदनापुर और पश्चिम बर्दवान समेत पूरे जंगल महल में फैली 65 सीटें जिन पर अधिकारी परिवार का प्रभाव माना जाता है।
यहां तृणमूल का वोट शेयर 28 फीसदी से बढ़कर 42 प्रतिशत हो गया है, यही वजह है कि चुनाव से पहले शुभेंदु के बागी तेवर ममता को बड़ा नुकसान कर सकते हैं। 3. बीजेपी डाल रही डोरे
शुभेंदु अधिकारी के बागी तेवरों के बीच ममता की चिंता का एक और कारण है बीजेपी। दरअसल चुनाव से पहले ही बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत पश्चिम बंगाल में झोंक दी है। ममता पहले ही आरोप लगाती आ रही है कि बीजेपी विधायकों समेत अन्य नेताओं को खरीदने के लिए लालच दे रही है। ऐसे शुभेंदु बीजेपी के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं।
4. अभिषेक के बढ़ते दखल से नाराजगी
ममता बनर्जी ने जब से संगठन की बागडोर अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को सौंपी है, तब से उनका दखल पार्टी के कामों में बढ़ गया है। यही वजह है कि शुभेंदु काफी समय से अभिषेक के बढ़ते दखल के चलते खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। ऐसे में उनकी नाराजगी साफ झलकने लगी है।
शुभेंदु पार्टी के कई आयोजनों और यहां तक कि सीएम ममता बनर्जी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठकों में भी नदारद रहे हैं। वे अपने गढ़ पूर्वी मिदनापुर में बगैर किसी बैनर और सीएम के पोस्टर के राजनीतिक रैलियां कर रहे हैं।
कोरोना से जंग के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दिन करेंगी सीरम इंस्टीट्यूट का दौरा, वैक्सीन को लेकर कर सकते हैं बड़ा ऐलान 5. जमीनी नेता की छविशुभेंदु अधिकारी के बगावती तेवरों से ममता की चिंता इसलिए भी बढ़ रही है क्योंकि उनकी छवि एक जमीनी नेता के रूप में बनी हुई है। यही वजह है कि वे लगातार पार्टी के दबाव को फैलाने में कामयाब रहे हैं। प्रदेश से वाम दलों के सफाए और उन्हीं के क्षेत्रों में टीएमसी का दखल बढ़ाने में शुभेंदु अधिकारी की बड़ी भूमिका रही है।
राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले शुभेंदु अच्छे से जानते हैं कि जनता के बीच जगह कैसे बनाई जाती है। ऐसे में उनकी जमीनी नेता छवि ममता को भारी पड़ सकती है।