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Hathras Case : इलाके में जातीय तनाव के बाद आरएसएस ने संभाला मोर्चा, भाईचारे पर जोर

हाथरस कांड के बहाने जारी आंदोलन हिंदू समाज को बांटने की साजिश।
इलाके में मुस्लिम-दलित कार्ड को मजबूत करने में जुटे विपक्षी दलों के नेता।
इस घटना के बाद मुस्लिम नेताओं की सक्रियता से जातीय तनाव बढ़ने के संकेत मिले।

नई दिल्लीOct 04, 2020 / 07:18 am

Dhirendra

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हाथरस कांड के बहाने जारी आंदोलन हिंदू समाज को बांटने की साजिश।

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में सियासी दलों के मैदान में उतरने से हाथरस कांड ( Hathras Case ) ने जातीय तनाव का रूप धारण कर लिया है। हाथरस के हालात बता रहे हैं कि सियासी जमात से जुड़े कुछ लोग इस घटना को सांप्रदायिक रूप देना चाहते हैं। ताकि सामाजिक समरस्ता और हिंदू एकता को तोड़ा जा सके। इस बात देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी सक्रियता घटना के बाद से बढ़ा दी है। साथ ही क्षेत्र में भाईचारे को बनाए रखने पर जोर दिया जा रहा है।
इस घटना को लेकर जारी आंदोलनों में मुस्लिम नेताओं की भागीदारी को देखते हुए आरएसएस ने इस गंभीरता से लेते हुए लेकर अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। जानकारी के मुताबिक मुस्लिम नेताओं की ओर से धरना प्रदर्शन में खास वर्ग के लोगों से बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने की अपील ने इस मामले को नाजुक मोड़ दे दिया है।
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झांसे में न आने की अपील

क्षेत्र के लोगों का कहना है कि यह मामला हिंदू समाज को बांटने की साजिश है। यही वजह है कि आरएसएस और उसके सहयोगी संगठनों ने भाईचारे को बनाए रखने के लिए मोर्चा संभाल लिया है।
आरएसएस की ओर से छोटे-छोटे ग्रुप में बैठकों का दौर जारी है। लोगों को समझाया जा रहा है कि वे हिंदू समाज को कमजोर करने की साजिश में न फंसे।

आरएसएस यह मानकर चल रही है कि विपक्षी दलों के नेता हिंदू एकता को तोड़ने के लिए इस मामले को जातियों में उलझा रहे हैं। आरएसएस के प्रांत प्रचार प्रमुख अजय मित्तल का कहना है कि हाथरस कांड के बहाने हिंदुओं को आपस में बांटने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि संघ और उसके सहयोगी संगठन क्षेत्र के लोगों के साथ संपर्क में हैं। तमाम पक्षों के साथ मीटिंग और बाचतीत की जा रही है। उन्होंने सभी पक्षों से अपील की है कि वह ऐसे तत्वों के झांसे में न आएं जो राजनीतिक वजहों से हिंदू समाज को बांटना चाहते हैं।
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दलित-मुस्लिम कार्ड

हाथरस कांड को जातीय तनाव में बदलता देख आरोपी पक्ष भी खुलकर सामने आ गया है। ठाकुर और अन्य सवर्ण जातियों ने भी पंचायतें शुरू कर दी हैं। माना जा रहा है कि इस कांड के बहाने दलित-मुस्लिम कार्ड खेला जा रहा है। 2014 के बाद इस इलाके में दलित—मुस्लिम गठजोड़ की सियासत कमजोर पड़ गई थी। उसे फिर से पटरी पर लाने की कवायद जारी है। यही वजह है कि इस कांड के बजाने तमाम मुस्लिम और दलित संगठन एक्टिव हो गए हैं।
घटना के बाद से इलाके में तनाव

बता दें कि हाथरस के एक गांव में 14 सितंबर को दलित लड़की के साथ दरिंदगी घटना के उसकी मौत से देशभर में उबाल है। इस मामले में चारों आरोपी ठाकुर जाति के हैं। इस मुद्दे को लेकर वेस्ट यूपी, दिल्ली और अन्य जगहों पर भी जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं। दलित संगठनों से जुड़े लोग सड़कों पर उतर आए हैं और आरोपियों के लिए फांसी की सजा दिलाने की मांग कर रहे हैं।

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