दरअसल, आदिवासी बाहुल्य झारखंड विधानसभा में कुल 81 सीटें हैं। जहां अनुसचित जनजाति (एसटी) के लिए 28 सीट तथा अनुसूचित जाति (एससी) के लिए 9 सीटें आरक्षित है। चुनाव में जिस भी दल ने इन सीटों पर वर्चस्व कायम किया है, झारखंड में उसकी सरकार बनी है। इसकी बानगी पिछली बार के दो विधानसभा चुनाव है। वहीं लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों से साफ पता चल रहा है कि इस बार सत्ताधारी इंडिया ब्लॉक और विपक्षी एनडीए के बीच कड़ा मुकाबला है। इसकी वजह इंडिया ब्लॉक के कांग्रेस और जेएमएम का आदिवासी बाहुल्य इलाकों और भाजपा का अन्य इलाकों में अपनी मजबूती को बरकरार रखना है।
विधानसभा चुनाव का ट्रेंड लोकसभा चुनाव में रहा बरकरार 2019 के विधानसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक ने एसटी की आरक्षित 25 सीटों पर जीत दर्ज कर सत्ता हासिल की थी। इस चुनाव का ट्रेंड लोकसभा चुनाव 2024 में भी दिखाई दिया, जहां जेएमएम व कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में एसटी के लिए आरक्षित पांचों सीट जीत ली। साथ ही एसटी की आरक्षित 28 में से 24 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस व जेएमएम आगे रही है। वहीं भाजपा की बढ़त सिर्फ 4 सीटों पर रही। इसी तरह भाजपा ने एससी की आरक्षित सभी 9 सीटों पर बढ़त हासिल की, जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इनमें से 7 सीटें जीती थी।
भाजपा को 2104 में मिला था आदिवासियों का साथ 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को आदिवासियों का साथ मिलने पर ही सत्ता हासिल हुई थी। तब यहां एसटी की आरक्षित 28 में से 11 सीटें भाजपा ने अकेले जीती थी।
लोकसभा जैसा नहीं रहा नतीजा झारखंड के चुनाव को लेकर एनडीए व इंडिया ब्लॉक सतर्क है, जिसकी वजह यहां 2019 का विधानसभा चुनाव के नतीजे हैं। दरअसल, लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा ने जोरदार प्रदर्शन किया और करीब 57 विधानसभा सीटों पर बढ़त ली, लेकिन विधानसभा चुनाव में समीकरण पलट गए और जेएमएम व कांग्रेस गठबंधन ने बढ़त बनाकर सरकार बना ली। कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा ने 8 लोकसभा सीटें जीतने के साथ 47 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई। वहीं जेएमएम को सिर्फ 14 और कांग्रेस को 15 सीटों पर बढ़त मिली है। इसके बावजूद भाजपा बेहद सतर्कता के साथ चुनाव लड़ रही है, जिसकी वजह से आजसू से गठबंधन किया गया।