
नई दिल्ली। सोमवार को कर्नाटक विधानसभा में सीएम बीएस येदियुरप्पा सरकार ने बहुमत साबित कर दिया। इससे पहले सदन में उन्होंने सभी से कहा कि मैं किसी के खिलाफ बदले की भावना से काम नहीं करूंगा।
सीएम येदियुरप्पा ने इस बात का भी जिक्र किया कि राजनीतिक पक्षपात की सोच से प्रेरित होकर कभी कोई काम नहीं किया। आगे भी ऐसा नहीं करूंगा।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार किसानों के लिए काम करना चाहती है। सभी दलों के नेता व प्रदेश की जनता से अपील करता हूं कि सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव का समर्थन करें।
विकास का काम करने पर सरकार देंगे साथ
दूसरी ओर एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि अब आप लोग सरकार में हैं। इसलिए विधायकों पर इस्तीफे का दबाव बनाना खत्म कीजिए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार बढ़िया काम करेगी तो वह सरकार का समर्थन करेंगे।
जनता के आशीर्वाद से कभी नहीं बने सीएम
सोमवार को कर्नाटक विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि येदियुरप्पा कभी भी जनता के आशीर्वाद से सीएम नहीं बने। न तो आपके पास 2008 में बहुमत था, न 2018 में और न ही अब आपके पास बहुमत है।
जब हमारी सरकार ने शपथ ली तो सदन में 222 विधायक थे और बहुमत हमारे पास था। लेकिन भाजपा के पास 112 विधायक कहां हैं। उन्होंने कहा कि आप मुख्यमंत्री तो रहेंगे, लेकिन उसकी भी कोई गारंटी नहीं कि आप कब तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
विश्वास मत का विरोध
सिद्धारमैया ने कहा कि आप बागियों के साथ हैं, लेकिन क्या आप सरकार चला सकते हैं। मैं, आपके विश्वास मत के प्रस्ताव का विरोध करता हूं।
येदियुरप्पा ने सिद्धारमैया से मिलाया हाथ
इससे पहले विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही सभी दलों के विधायक सदन के अदंर पहुंचे। उसके बाद सबसे पहले मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कांग्रेस नेता सिद्धारमैया से हाथ मिलाया।
विपक्ष ने मत विभाजन की मांग नहीं की
इसके बाद फ्लोर टेस्ट के दौरान विपक्ष ने मत विभाजन की मांग नहीं की। यही वजह है कि बिना बाधा के येदियुरप्पा सरकार फ्लोर टेस्ट में पास हो गई।
बता दें कि विधानसभा स्पीकर केआर रमेश ने दो चरणों में 17 विधायकों को अयोग्य करार दिया था। उसके बाद 207 विधायकों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 104 का आंकड़ा चाहिए था। भाजपा के पास 105 विधायक हैं।
Updated on:
29 Jul 2019 03:43 pm
Published on:
29 Jul 2019 01:17 pm
बड़ी खबरें
View Allराजनीति
ट्रेंडिंग
