
कर्नाटक के सियासी संकट का कैसे होगा अंत?
नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा के सियासी सर्कस ( Karnataka political crisis ) में हर पल एक किरादार शामिल हो रहा है। Congress - JDS ने पांच साल सरकार चलाने के लिए जो गठबंधन किया था, वे उन्हीं के विधायकों के इस्तीफे की वजह से महज 14 महीने में अपनी आखिरी सांस लेता नजर आ रहा है।
कर्नाटक के आसमान पर साया सियासी संकट अब उस मोड़ पर आ पहुंचा है, जब राज्य के 72.13% मतदाता हैरानी भरी निगाहों से सरकार की ओर देख रहा हैं। इस कहानी में बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस दल होते हुए भी ऐसे पात्र हैं जो पर्दे के आगे और पीछे यानि दोनों ओर से कहानी को आगे बढ़ा रहे हैं।
अगर कोई कहानी शुरु होती है, तो उसका अंत भी निश्चित है। ऐसे में कर्नाटक की कहानी के पटाक्षेप को जानना दिलचस्प है।
सभी विधायक इस्तीफा वापस लें, मामला रफा दफा
ये कहना जितना आसान है, उसे कर दिखाना उतना ही मुश्किल। हालांकि कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन ( Congress-JDS Alliance ) की सरकार बचाने के लिए बागी विधायकों की हर मांग पूरी करने को तैयार है। ऐसे में अगर आठ से 10 बागी विधायकों की शर्त सरकार मान लेती है और उनको मन मुताबिक पॉर्टफोलियो दे देती है, तो इस कहानी का अंत हो सकता है।
सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बना दिया जाए
कांग्रेस के जितने भी विधायकों ने इस्तीफा दिया है, उनमें से ज्यादातर सिद्धारमैया खेमे के हैं। सिद्धारमैया ने कुछ समय पहले कहा भी था कि अगर लोगों की मर्जी हुई तो वह फिर से मुख्यमंत्री बन जाएंगे। ऐसे में मुमकिन है कि एचडी कुमारस्वामी को हटाकर सिद्धारमैया के मुख्यमंत्री बनने की बात आने पर कांग्रेस के नाराज विधायक इस्तीफा वापस ले लें और सरकार बच जाए।
सत्ता में फिर लौट जाए बीजेपी
कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों के इस्तीफे से सत्ता का सिंहासन हिलता देख बीजेपी ने तैयारी शुरु कर ली है। भारतीय जनता पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात की है। इन्होंने राज्यपाल से विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार को बहुमत परीक्षण कराने का निर्देश देने का आग्रह किया है।
बागी विधायकों की सुनकर सुप्रीम कोर्ट दे दखल
कर्नाटक विधानसभा स्पीकर ने कांग्रेस और जनता दल-सेकुलर (जद-एस) के बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। बागी विधायकों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। स्पीकर केआर रमेश कुमार पर विधायकों ने संवैधानिक कर्तव्य नहीं निभाने का आरोप लगाया है। अब सुप्रीम कोर्ट चाहे तो स्पीकर को जल्द फैसला लेने से लेकर बहुमत परीक्षण कराने तक का निर्देश दे सकती है।
बीजेपी में ही हो जाए सेंधमारी
वैसे से ये नामुमकिन सा लगता है लेकिन याद रखना होगा कि, सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी अगर बीजेपी सरकार नहीं बना सकी थी तो ये भी संभव है कि पार्टी में सेंधमारी हो जाए। कांग्रेस और जेडीएस बीजेपी विधायकों को मंत्री पद ऑफर कर इस्तीफा दिला दे। बीजेपी के अगर चार से पांच विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया तो कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार बच सकती है।
कर्नाटक में दोबारा विधानसभा चुनाव
दोबारा चुनाव कराने के पक्ष में राज्य के तीनों प्रमुख दल नहीं होगे। लेकिन अगर स्पीकर ने 16 विधायकों का इस्तीफा सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद स्वीकार कर लिया तो गठबंधन की सरकार गिर जाएगी। लेकिन खुद सत्ता से बाहर होने के बाद कांग्रेस-जेडीएस, बीजेपी का खेल बिगाड़ने की कोशिश करेगी। ऐसे में अगर दोनों निर्दलीय विधायक बीजेपी को समर्थन देने से पीछे हट जाते हैं तो बीजेपी के पास भी समर्थन नहीं होगा। इस हालात में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है और दोबारा विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं।
Updated on:
11 Jul 2019 08:25 am
Published on:
11 Jul 2019 07:04 am
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