
हर मोर्चे पर संकट में लालू परिवार, थमीं महागठबंधन की रफ्तार
नई दिल्ली। बिहार में नीतीश सरकार से बाहर होने के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू यादव और उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने महागठबंधन को धार देने का काम किया था। एक समय तो ऐसा लगने लगा था कि महागठबंधन एनडीए को लोकसभा चुनाव में हरा भी सकता है। लेकिन तेजी से राजनीतिक समीकरण बिगड़े और लालू परिवार पर आये एक के बाद एक संकंटों के बीच तेजस्वी यादव कुछ नहीं कर पा रहे हैं। खासकर तेजप्रपात के तलाक बाले मामले ने इस परिवार को कमजोर कर दिया है। यही कारण है कि बिहार में महागठबंधन की रफ्तार पर ब्रेक लग गया है।
संकटों से पार पाना आसान नहीं
आरजेडी के युवराज और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव इन सबसे उबर नहीं पा रहे हैं। एक साथ चार मोर्चे पर डटकर बने रहना और अपनी स्थिति में मजबूत बनाए रखना अब संभव नहीं लग रहा है। लालू प्रसाद यादव की गिरती सेहत, परिवार में भाई तेज प्रताप यादव का पत्नी से बढ़ता वैराग्य और भाजपा-जदयू की संयुक्त ताकत से राजद के नेतृत्व में बिहार में कमजोर पड़ता जा रहा है। इतना ही नहीं लालू का पूरा कुनबा अदालती चक्कर फंस गया है। इसलिए लोकसभा चुनाव से इन संकटों से निपटना और पार्टी के साथ महागठबंधन की मजबूती को बनाए रखना अब उनके लिए आसान नहीं होगा।
वोट बैंक पर असर का डर
इन मोर्चों पर तेजस्वी के उलझे होने के कारण महागठबंधन में सीटों के बंटवारे की बात तो अभी बहुत दूर है। शीर्ष नेताओं की पहल के तीन हफ्ते बाद भी समन्वय समिति का गठन अभी तक नहीं हो पाया है। कांग्रेस के नेता अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में व्यस्त हैं और तेजस्वी अपनी मुश्किलों में फंसे हैं। सबकी अलग व्यस्तता है। कहने का मतलब साफ है कि जिसके नेतृत्व में बिहार में महागठबंधन नया आकार लेने वाला है। हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) प्रमुख जीतनराम मांझी के फार्मूले को स्वीकार करके भी काम आगे नहीं बढ़ पाया है। तेजस्वी के सामने फिलहाल सबसे बड़ी परेशानी परिवार में उभरे नए विवाद को सुलझाने की है। बड़े भाई तेज प्रताप पत्नी से तलाक लेने पर अड़े हैं। इससे राजद के वोट बैंक के बिखरने की आशंका भी व्यक्त की जा रही है।
Published on:
26 Nov 2018 12:39 pm
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