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‘एक देश-एक चुनाव’ पर कानून मंत्रालय ने उठाया सवाल, विधि आयोग से तीन बिंदुओं पर मांगी सलाह

कानून मंत्रालय ने मोदी सरकार के महत्वपूर्ण योजना 'एक देश एक चुनाव' पर सवाल खड़े किए हैं और इस संबंध में विधि आयोग से सलाह मांगी है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

'एक देश-एक चुनाव' पर कानून मंत्रालय ने उठाया सवाल, विधि आयोग से तीन बिन्दुओं पर मांगी सलाह

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक बुरी खबर है क्योंकि मोदी सरकार के कानून मंत्रालय ने ही उनके एक महत्वकांक्षी योजना पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसके साथ ही कानून मंत्रालय ने विधि आयोग से तीन महत्वपूर्ण मामलों पर सलाह भी मांगी है। दरअसल कानून मंत्रालय ने मोदी सरकार के महत्वपूर्ण योजना 'एक देश एक चुनाव' पर सवाल खड़े किए हैं और इस संबंध में विधि आयोग से सलाह मांगी है। बता दें कि मंत्रालय ने आयोग से पूछा है कि क्या सभी चुनाव एक साथ कराने से खर्च में कमी आएगी, क्या ऐसा करने से भारतीय राजनीति के लोकतांत्रिक तानेबाने को नुकसान पहुंचेगा और क्या आचार संहिता लागू होने से विकास कार्य प्रभावित होते हैं?

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करीब दस हजार करोड़ रुपए होंगे खर्च

आपको बता दें कि कानून मंत्रालय ने एक देश एक चुनाव को लेकर एक विसतृत नोट तैयार किया है, जिसमें एक साथ चुनाव कराने के संभावित दुष्प्रभावों को रेखांकित किया गया है। कानून मंत्रालय ने इस बाबत विधि आयोग से कुछ जवाब मांगा है। बता दें कि विधि आयोग (लॉ कमीशन) कानून से जुड़े हुए मामलों पर सरकार को राय देता है और फिर संभावित उपायों की सिफारिश करता है। गौरतलब है कि मोदी सरकार हमेशा से यह कहती रही है कि देश में हर तरह का चुनाव एक साथ होना चाहिए जिससे देश का पैसा और समय दोनों बचेगा। हालांकि कानून मंत्रालय ने विधि आयोग से पूछा है कि देशभर में एक साथ चुनाव कराने से क्या वास्तव में खर्च में कमी आएगी? बता दें कि चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक चुनाव कराने की स्थिति में तकरीबन 23 लाख ईवीएम और 25 लाख वीवीपीएटी यूनिट की जरूरत पड़ेगी। इस लिहाज से देखा जाए तो ईवीएम पर 46 सौ करोड़ रुपए और वीवीपीएटी यूनिट पर तकरीबन 4750 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यानी कुल मिलाकर देखा जाए तो करीब 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे।

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हर 15 वर्ष में ईवीएम को बदलना पड़ता है

आपको बता दें कि कानून मंत्रालय ने आगे कहा है कि ईवीएम और वीवीपीएटी मशीन की आयु सिर्फ 15 वर्ष की होती है। इस दरमियान सुरक्षा कारणों से ईवीएम को बदलना पड़ता है। यदि ऐसे में हर 15 वर्ष में 10 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा और इन मशीनों से केवल तीन बार ही चुनाव कराए जा सकेंगे। इसके अलावा सुरक्षाबलों की तौनाती पर भी खर्च आता है। अब इन सभी मामलों को देखते हुए कानून मंत्रालय ने विधि आयोग से पूछा है कि क्या वास्तव में एक साथ चुनाव कराए जाने पर पैसों की बचत होगी या फिर खर्च ज्यादा आएगा?