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लोकसभा चुनाव में सुर्खियों और वोट के लिए शहादत पर सियासत करते राजनेता

locationनई दिल्लीPublished: Apr 29, 2019 10:43:00 am

Submitted by:

Chandra Prakash

शहीद हेमंत करकरे की शहादत पर राजनीति कबतक?
वोट के आगे कुछ हैं देश पर कुर्बान होने वाले शूरवीर?
करकरे की बेटी ने कहा- शहीदों का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए

शहीद हेमंत करकरे

लोकसभा चुनाव में सुर्खियों और वोट के लिए शहादत पर सियासत करते राजनेता

नई दिल्ली। 26/11 के मुंबई आतंकी ( Mumbai attack ) हमले में देश की रक्षा करते हुए महाराष्ट्र एटीएस चीफ हेमंत करकरे ( Hemant Karkare ) ने अपने प्राणों की अहुत दे दी। भारत के राष्ट्रपति ने कृत्ज्ञ राष्ट्र की ओर से करकरे की असाधारण वीरता और शूरवीरता के लिए मरणोपरांत शांति काल के सबसे ऊंचे वीरता पदक ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया। अब एक दशक बाद उनकी शहादत पर वोट और मीडिया की सुर्खियां बंटोरने के लिए कुछ लोग ओछी राजनीति का मुजाहिरा कर रहे हैं।

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ऐसे बयानों पर क्या कहता है शहीद करकरे का परिवार?

सबसे पहले जानिए आखिर उस शहीद के परिवार पर क्या गुजर रही है, जिसने अपना सबसे मजबूत सहारा खो दिया। शहीद हेमंत करकरे की बेटी जुई नवारे ने अपने पिता को लेकर दिए जा रहे नीच और गंदे बयानों पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। एक अखबार से बात करते हुए नवारे ने कहा, ‘मेरे पिता कहा करते थे कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है और कोई भी धर्म हत्या करना नहीं सिखाता है। सोशल मीडिया पर मैंने बीजेपी नेता प्रज्ञा ठाकुर का बयान देखा। साथ ही मैंने कई लोगों की प्रतिक्रिया भी पढ़ी। हेमंत करकरे मेरे पिता हैं, केवल इस वजह से नहीं, बल्कि शहीदों का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए।’

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साध्वी प्रज्ञा ने कहा था- करकरे को कर्मों का फल मिला

मालेगांव धमाके की आरोपी और भोपाल बीजेपी प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ( Sadhvi Pragya Singh Thakur ) ने कहा था कि ‘मुंबई एटीएस के प्रमुख करकरे को कर्मों का फल मिला’ है। भोपाल के कोलार उन्होंने कहा, ‘उन दिनों वह मुंबई जेल में थीं। जांच आयोग ने सुनवाई के दौरान एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे को बुलाया और कहा कि जब प्रज्ञा के खिलाफ कोई सबूत नहीं है तो उन्हें छोड़ क्यों नहीं देते। तब हेमंत ने कई तरह के सवाल पूछे, जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि इसे भगवान जाने। इस पर करकरे ने कहा था कि तो क्या मुझे भगवान के पास जाना होगा। उस समय ही मैंने करकरे से कहा था कि तेरा सर्वनाश होगा, उसी दिन से उस पर सूतक लग गया था और सवा माह के भीतर ही आतंकवादियों ने उसे मार दिया था।’

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रमेश उपाध्याय ने कहा- नाकाबिलियत से मरे करकरे

मालेगांव धमाके ( Malegaon blast ) के दूसरे आरोपी रमेश उपाध्याय अखिल हिंदू महासभा के टिकट पर बलिया लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। बीते दिनों नामांकन दाखिल करने के बाद रमेश ने भी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की तरह ही अपनी छोटी सोच की परिचय देते हुए शहीद के लिए विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा, ‘हेमंत करकरे आतंकवादियों के हाथों मारे गए, ये उनकी नाकाबिलियत का सबसे बड़ा सबूत है। करकरे ने साध्वी प्रज्ञा को नग्न करके पीटा था। उसने हम सभी को टॉर्चर किया था। 12 में से 11 अभियुक्त आज भी ठीक से चल नहीं पाते। प्रज्ञा सिंह ठाकुर इसका सबसे बड़ा सबूत है। उन्होंने करकरे को देशद्रोही कहकर ठीक किया, क्योंकि ये हमारा हक है। कोई भी पुलिसकर्मी कहीं भी मरे वो शहीद नहीं कहलाता है, शहीद केवल स्वतंत्रता सेनानी और सैनिक होते हैं।’

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नेता क्यों कर रहे हैं शहीदों का अपमान

देश में 543 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहा है। हजारों प्रत्याशी मैदान में हैं। ऐसे में मीडिया कवरेज और सुर्खियों में बने रहने की नियत से कुछ नेता शहीदों तक का अपमान करने तक से नहीं चूक रहे हैं। ये लोग सिर्फ वोट के लालच में देश पर जान न्यौछावर करने वाले शूरवीरों पर विवादित बयान दे रहे हैं।

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