
लोकसभा चुनावः चौथे चरण में नुकसान के डर से कोसों दूर है कांग्रेस, जानिए क्यों?
नई दिल्ली।लोकसभा चुनाव का चौथा चरण सोमवार को पूरा हो गया। यह चरण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए काफी अहम है। दूसरी तरफ इस चरण में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है। लेकिन भाजपा का सियासी खेल बिगड़ा तो मोदी-शाह की जोड़ी का बना बनाया समीकरण बिगड़ सकता है।
कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं
दरअसल, चौथे चरण में जिन 72 लोकसभा सीटों पर चुनाव हुआ है उनमें से केवल दो सीटों पर 2014 के लोकसभा के चुनावों में कांग्रेस को जीत नसीब हुई थी। जबकि यह चरण भाजपा के लिए खास चुनौतियों से भरा साबित हो सकता है। ऐसा इस लिए इस चरण में 72 सीटों पर चुनाव हुए हैं। 2014 में एनडीए के खाते में इनमें से 56 सीटेें गईं थींं। अकेले भाजपा को 45 सीटों पर जीत हासिल करने में सफलता मिली थी। शिवसेना को 9 और रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी को 2 सीटों पर जीत मिली थी। इसकेे अलावा टीएमसी 6, बीजेडी 6 और सपा केे 1 प्रत्याशी जीत हासिल कर संंसद तक पहुंचे थे।
छिंदवाड़ा और बेहरामपुर लकी सीट
2014 में कांग्रेस 72 में से जिन दो सीटों पर जीत मिली थी उनमें एक छिंदवाड़ा और दूसरा बेहरामपुर सीट शामिल है। छिंदवाड़ा कांग्रेस की परंपरागत सीट हैं। छिंदवाड़ा के बेताज बादशाह कमलनाथ मोदी लहर में भी इस सीट पर जीत हासिल करने में सफल हुए थे। वर्तमान में कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इस बार छिंदवाड़ा सीट से उनके बेटे नकुलनाथ सियासी उत्तराधिकार हासिल करने के लिए चुनावी मैदान में हैं। इसी तरह ममता राज के बावजूद पश्चिम बंगाल के बेहरामपुर संसदीय सीट से अधीर रंजन चौधरी को जीत मिली थी।
इन राज्यों में बेहतर परिणाम की उम्मीद
अगर लोकसभा चुनाव 2014 के संदर्भ में बात करें तो कांग्रेस को 17वीं लोकसभा के इस चरण में नुकसान होने की कोई संभावना नहीं है। इसकेे उलट मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और झारखंड से बेहतर चुनाव परिणाम की उम्मीद राहुल गांधी पहले ही जाहिर कर चुके हैं। झारखंड की जिन तीन सीटों पर सोमवार को वोट डाले गए हैं वर्तमान में वो सभी सीटें भाजपा के पास हैं। राजस्थान की 13 सीटों पर चुनाव संपन्न हुए हैं उन सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है। इसी तरह मध्य प्रदेश की 6 में से 5 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। महाराष्ट्र की 17 लोकसभा सीटो में से नौ पर शिवसेना और भाजपा के खाते में 8 सीटें गई थीं।
सपा-बसपा ने बढाई भाजपा की मुश्किलें
उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन भाजपा की राह में किसी ब्रेकर से कम नहीं है। वहीं कांग्रेस-एनसीपी ने महाराष्ट्र में तो बिहार में महागठबंधन ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऐसे में इन राज्यों की भरपाई के लिए भाजपा की नजर पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों पर टिकी हैं।
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Updated on:
30 Apr 2019 11:14 am
Published on:
30 Apr 2019 07:01 am
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