
Uddhav Thackeray on Coronavirus Pandemic says I am not Donald Trump
मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है, "मैं डोनाल्ड ट्रंप नहीं हूं। मैं अपने लोगों को अपनी आंखों के सामने परेशान होते नहीं देख सकता।" उद्धव ने यह बात शिवसेना सांसद और प्रवक्ता संजय राउत के साथ पार्टी के मुखपत्र 'सामना' के लिए रिकॉर्ड किए गए एक इंटरव्यू में कही। इस इंटरव्यू को इस सप्ताह के अंत में सोशल मीडिया पर दो किश्तों में जारी किया जाएगा।
दरअसल अमरीका में कोरोना वायरस महामारी से निपटने के तरीकों और इस्तेमाल किए जाने वाले उपायों को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। ट्रंप ने विशेष रूप से कोरोना के खिलाफ लड़ाई में कड़े प्रतिबंधों को लागू करने के लिए कदम आगे नहीं बढ़ाया। वहीं, उद्धव ठाकरे लॉकडाउन के दौरान लागू पाबंदियों को ढील देने से पहले पूरी सावधानी बरत रहे हैं, ताकि कोरोना वायरस की दूसरी लहर प्रदेश को प्रभावित ना कर दे।
हालांकि इंटरव्यू के दौरान मुख्यमंत्री का बयान किस संदर्भ में आया है, यह अभी तक तो पता नहीं चला है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि देश में कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र के प्रमुख के रूप में वह 'मैं ट्रंप नहीं हूं' का बयान देते हैं क्योंकि अब प्रदेश में अपेक्षाकृत नए केस आने थोड़े कम हुए हैं। ठाकरे की यह प्रतिक्रिया, संजय राउत के उस सवाल के रूप में सामने आती नजर आ रही है जब उनसे पूछा जाता है कि कब मुंबई की सड़कों पर मशहूर "वड़ा पाव" मिलने लगेगा क्योंकि लोग पाबंदियों से तंग आ गए हैं।
इंटरव्यू के इस टीज़र में ठाकरे को यह समझाते हुए दिखाया गया है कि जिस वक्त पाबंदियों में थोड़ी ढील दी गई है, तब भी एक लॉकडाउन जारी है। उन्होंने कहा, "लॉकडाउन अभी भी जारी है। हम ढील दे रहे हैं और एक-एक करके सेवाएं खोल रहे हैं।"
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया हैं कि क्यों महाराष्ट्र यह चाहते हुए भी कि छात्रों के लिए परीक्षाओं का आयोजन होना चाहिए। कोरोना वायरस संकट के इस दौर में उन्हें आयोजित नहीं करा सकता। उनके बेटे और राज्य के पर्यटन, पर्यावरण और प्रोटोकॉल मंत्री आदित्य ठाकरे ने अंतिम वर्ष की कॉलेज में परीक्षा आयोजित कराने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
इंटरव्यू में ठाकरे ने ये भी कहा है कि किसी को भी इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि छात्रों को कोरोना वायरस नहीं हो सकता। वह आगे कहते हैं कि अगर वह किसी चीज के बारे में आश्वस्त हैं, तो उन्हें आलोचना की परवाह नहीं है। "यहां तक कि मैं भी परीक्षा आयोजित करना चाहता हूं, लेकिन ...।"
Updated on:
22 Jul 2020 10:23 pm
Published on:
22 Jul 2020 10:20 pm
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