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कश्मीर: अलगावादी नेता मीरवाइज बोले- सरकार से बातचीत के लिए मर नहीं रहे

अलगाववादी नेता मीरवाइज मौलवी उमर फारुक ने कहा कि अगर कश्मीर में लोगों के लिए स्थिति बदलती है तो परिस्थितियां भी अपने आप बदल जाएगी।

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Mirwaiz

श्रीनगर: कश्मीर में आतंक के पर्याय बन चुके अलगावादी अब शांति और मानवता की बात कर रहे हैं। ऑल इंडिया पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेता मीरवाइज मौलवी उमर फारुक ने सरकार को मानवता और न्याय की नसीहत दी है। मीरवाइज ने कहा कि कश्मीर समस्या का समाधान इसे मानवता और न्याय के व्यापक संदर्भ में रखकर निकाला जा सकता है।

बातचीत के लिए मरे नहीं जा रहे: मीरवाइज

मीरवाइज ने कहा कि कश्मीर में अमन के लिए अलगाववादी नेतृत्व बातचीत तो चाहता है लेकिन दिल्ली की पेशकश को लेकर जल्दबाजी में नहीं है। हम उनके प्रस्ताव को देख मरे नहीं जा रहे हैं। अलगाववादी नेता आने वाले दिनों में इस पेशकश को लेकर विचार करेंगे और इस पर अपनी राय देंगे।

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शांति के लिए सरकार हर पक्ष से बातचीत को तैयार

गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि जम्मू कश्मीर में शांति बहाल करने के लिए केंद्र सभी पक्षों से बातचीत करने को तैयार है। बीजेपी के महासचिव और जम्मू कश्मीर मामलों के प्रभारी राम माधव ने भी हाल में कहा था कि केंद्र हुर्रियत कांफ्रेंस से बातचीत करने को तैयार हैं।

अगलावादी दे रहे शांति का उपदेश

मीरवाइज ने राज्य में सतारुढ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और बीजेपी के नेताओं का नाम लिए बगैर कहा कि जो हमें शांति और विकास पर उपदेश देते हैं, मैं उनसे पूछता हूं कि दुनिया में ऐसे कौन से लोग हैं जो अपने बच्चों की बेहतरी और सर्वोत्तम प्रगति के लिए उत्कृष्ट संस्थान नहीं चाहते हैं? उन्होंने कहा कि कश्मीर के युवा अलग नहीं हैं, वे भी वही चाहते हैं लेकिन इस क्षेत्र में उनके समकक्षों के विपरीत, वे एक संघर्ष क्षेत्र में रहते हैं। हमारे बच्चों को संघर्षपूर्ण स्थिति विरासत में मिली है।

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हम भी चाहते हैं बेहतरी: मीरवाइज

ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में शुक्रवार की नमाज के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए अलगाववादी नेता ने कहा कि अगर लोगों के लिए स्थिति बदलती है तो परिस्थितियां भी अपने आप बदल जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि केन्द्र सरकार वास्तव में हमारे बच्चों और युवाओं की चिंता करने का दावा करती है तो यह स्वागत योग्य है क्योंकि यह मानवीय पहलू है। हम भी अपने बच्चों की बेहतरी चाहते हैं और मानते हैं कि यह तभी संभव हो पाएगा जब उन्हें अनिश्चितता के दायरे से बाहर लाया जाए जिससे वे घिरे हुए हैं।