दरअसल, सत्र के बीते तीन हफ्तों में विपक्षी दलों ने पेगासस और तीन कृषि कानूनों को लेकर जमकर हंगामा किया है। इसके चलते रोजाना संसद की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ जाती थी। इसको लेकर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कई बार सांसदों के रवैये पर नाराजगी भी जताई है। आज भी इन मुद्दों पर विपक्ष का हंगामा लाजमी है। ऐसे में सरकार को हंगामे के बीच संविधान संशोधन विधेयक पारित कराना थोड़ा कठिन होगा। बता दें कि हाल ही में कैबिनेट ने इस बिधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी थी।
राज्यों को वापस मिलेगा ओबीसी सूची बनाने का अधिकार संसद में संविधान के अनुच्छेद 342-ए और 366(26) सी के संशोधन विधेयक पारित होने से राज्यों के पास ओबीसी सूची में अपनी मर्जी से जातियों को अधिसूचित करने का अधिकार होगा। महाराष्ट्र में मराठा समुदाय, हरियाणा में जाट समुदाय, गुजरात में पटेल समुदाय और कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल होने का मौका मिल सकता है। बता दें कि राज्यों में ये जातियां लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रही हैं। इनमें से मराठा समुदाय को महाराष्ट्र देवेंद्र फडणवीस सरकार ने आरक्षण दिया भी था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई को दिए फैसले में इसे खारिज कर दिया था। इसके बाद यह विधेयक लाया जा रहा है। इस विधेयक के पारित हो जाने से राज्यों को यह अधिकार दोबारा मिल सकेगा।
ये भी पढ़ें: पिछड़ा वर्ग को सरकार दे सकती है सौगात, राज्यों में लगेगी आरक्षण बिल पर मुहर जानकारी के मुताबिक आज (9 अगस्त) को लोकसभा में कुल छह विधेयक पेश किए जाएंगे। इनमें ओबीसी आरक्षण विधेयक के अलावा लिमिटेड लाइबिलीटी पाटर्नरशिप बिल, डिपॉजिट एवं इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी बिल, नेशनल कमीशन फॉर होम्योपैथी बिल, नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन बिल और द कॉन्स्टीट्यूशन एमेंडमेंट शिड्यूल ट्राइब्स ऑर्डर बिल शामिल हैं। जबकि राज्यसभा में चार विधेयक लाए जाएंगे, जिन्हें लोकसभा से पहले ही हरी झंडी मिल चुकी है।