
सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर
लखनऊ : सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (Suheldev Bharatiya Samaj Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर अक्सर बीजेपी और सपा के संगठन को लेकर बयान देते हैं । वहीं अब वह अपने पार्टी के नेताओं को समझा नहीं पा रहे हैं। बीते कुछ दिनों में ओम प्रकाश राजभर का कुनबा लगभग आधा हो चुका है। ओम प्रकाश राजभर के सबसे करीबी शशि प्रकाश सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद पार्टी के उपाध्यक्ष महेंद्र राजभर अपने करीब 45 समर्थकों के साथ इस्तीफा दे दिया ।
ओम प्रकाश राजभर की पार्टी से बीते कुछ दिनों में करीब 50 से अधिक नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा उस समय हो रहा है जब ओपी राजभर खुद पार्टी के विस्तार के लिए यूपी से लेकर बिहार तक सावधान रैली की तैयारी में जुटे हैं। ओपी ओम प्रकाश राजभर की पार्टी भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी यूपी के राजनीति में किसी एक दल के कभी भी भरोसेमंद नहीं रही है।
ओम प्रकाश राजभर केवल दो परिवारों की सुनते हैं
भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के राष्ट्रीय ओम प्रकाश राजभर पर आरोप लगता है कि केवल वह दो परिवारों की सुनते हैं। एक मुख्तार अंसारी एंड फैमली, दूसरा अपने परिवार की । राजभर का साथ छोड़ने वाले बताते हैं कि ओम प्रकाश राजभर केवल पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं की नहीं सुनते हैं। वह बस दो परिवारों की सुनते हैं।
इसी कारण कुछ दिन पहले पार्टी के उपाध्यक्ष महेन्द्र राजभर और 45 नेताओं ने अपना इस्तीफा दिया था। इस्तीफा देने के बाद पार्टी के नेताओं ने उन पर आरोप लगाया था कि राजभर केवल मुख्तार अंसारी की बात सुनते और राय लेते हैं, हम लोगों की कोई बात नहीं सुनते हैं। मुख्तार अंसारी को राजभर अपना बड़ा भाई मानते हैं, वह जो कहते हैं वहीं राजभर करते हैं।
मुख्तार परिवार के अलावा राजभर अगर किसी परिवार की सुनते हैं तो वह उनका खुद का परिवार। पार्टी छोड़ने वाले नेताओं का कहना है कि सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद ओपी राजभर हैं। उनकी पत्नी सुभासपा पार्टी की महिला विंग की राष्ट्रीय सलाहकार हैं। राजभर के छोटे भाई वीरेंद्र पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष हैं। बड़े बेटे अरविंद प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव और छोटे बेटे अरुण राजभर पार्टी के प्रमुख राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। ऐसे में उनके जैसे अन्य पदाधिकारी सिर्फ ओपी राजभर की हां में हां मिलाने भर के ही हैं। इस तरह उनका परिवार पूरी पार्टी पर कब्जा जमाए हुए है।
पार्टी से नेताओं ने इस्तीफा क्यों दिया ?
शशि प्रकाश सिंह सबसे पहले ऐसा नेता हैं जिन्होंने ओम प्रकाश राजभर का साथ छोड़ा है। दरअसल जब 2022 में विधानसभा के चुनाव तब पार्टी का दोबारा से पुनर्गठन किया था लेकिन ओपी राजभर ने मुख्य प्रवक्ता का पद अपने बेटे अरुण राजभर को दे दिया। जिससे आहत होकर शशि प्रकाश ने जुलाई 2022 में राष्ट्रीय समता पार्टी का गठन कर लिया। उसके बाद महेंद्र राजभर आते हैं, जो पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुआ करते थे। साल 2017 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी ओपी राजभर को मऊ से मुख्तार अंसारी के खिलाफ चुनाव लड़ाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने महेंद्र राजभर को वहां से उम्मीदवार बना दिया। 2022 के विधानसभा चुनाव में ओम प्रकाश ने महेंद्र राजभर का टिकट काट कर मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी को उम्मीदवार बना दिया। जिससे महेन्द्र राजभर नाराज हो गए लेकिन उस समय तक वह पार्टी में बने रहे. बीते कुछ दिन पहले महेन्द्र राजभर ने पार्टी से बगावत करके अपने 45 करीबी नेताओं के साथ इस्तीफा दे दिया । महेंद्र ओम प्रकाश राजभर के समधी भी हैं ।
ओपी राजभर किसी राजनीतिक दल के नहीं हैं सगे
ओम प्रकाश राजभर दल बदले में माहिर माने जाते हैं। ओपी राजभर अपने राजनीतिक कैरियर की शुरूआत बीएसपी से की थी। पार्टी के जिलाध्यक्ष बने, लेकिन बाद में वह बसपा छोड़कर अपना दल में चले गए। वहां भी ज्यादा दिन तक टिक नहीं पायें और उन्होंने 2002 में खुद की पार्टी बनाई और 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा से गठबंधन किया। सरकार बनने पर कैबिनेट मंत्री व बेटा दर्जा प्राप्त मंत्री बना, लेकिन इस बार भी अधिक दिन तक साथ नहीं चला । भाजपा से किनारा कर कई दलों को साथ मिलाकर भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाया लेकिन 2022 विधानसभा चुनाव के चुनाव आते ही वह उस दल छटकर सपा के साथ चले गए। सपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा। चुनाव लड़ने के बाज ओपी राजभर सपा के साथ भी नहीं टिक पाए अब वह अपना नय़ा ठिकाना ढूंढ़ रहे हैं।
ओपी राजभर का पार्टी छोड़ने वाले नेताओं पर क्या कहना है ?
सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर का पार्टी छोड़ने वाले नेताओं पर कहना है कि अखिलेश यादव उन्हें एमएलसी बना रहे हैं। इसलिए वह लोग पार्टी छोड़ कर जा रहे हैं। हम किस किस को विधायक बना दें। हमारे पास 6 विधायक हैं । अखिलेश यादव हमारी पार्टी को तोड़ना चाहते हैं। जिसको जहां जाना हो, वहां जाए लेकिन दोबारा पार्टी में वापस आने की कोई गुंजाइश ना हो ।
Updated on:
13 Sept 2022 12:06 pm
Published on:
13 Sept 2022 12:05 pm
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