इस वर्ष नवंबर में बिहार विधानसभा चुनाव ( Bihar Assembly Polls ) हो सकते हैं।
लॉकडाउन ( Covid-19 Lockdown in India ) में परेशान हुए प्रवासी मजदूरों ( migrant labourers) में फैला है पीएम मोदी ( PM Modi ) के प्रति रोष।
बिहार ( Bihar ) में प्रवासी मजदूरों की तादाद है बहुत ज्यादा और चुनाव में लॉकडाउन बन सकता है मुद्दा।
PM Modi may face migrant workers dissatisfaction in Bihar Assembly Polls
नई दिल्ली। छह साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Prime Minister Narendra Modi ) के सत्ता में आने के बाद पहली बार ऐसे संकेत सामने आ रहे हैं कि प्रवासी श्रमिकों पर उनकी अटूट पकड़ छूट सकती है। पिछले दो महीनों में देश भर से ऐसी तमाम खबरें सामने आईं, जिनमें पीएम मोदी ( pm modi ) के देशव्यापी लॉकडाउन ( Covid-19 Lockdown in India ) की घोषणा के बाद रातोंरात लोगों की नौकरियां-कमाई खत्म हो गई। इससे बीते साल जबर्दस्त बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता पर काबिज होने वाले लोकप्रिय नेता केे खिलाफ रोष फैल चुका है। स्पष्ट तौर पर इस वर्ष के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव ( Bihar Assembly Polls ) में यह रोष भारतीय जनता पार्टी ( Bhartiya Janata Party ) के लिए कठिन परीक्षा साबित हो सकता है।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दी महाराष्ट्र में फिर से लॉकडाउन लागू करने की चेतावनी दरअसल, लॉकडाउन ( Covid-19 Lockdown in India ) की घोषणा के बाद देशभर के उद्योग-धंधे लंबे वक्त के लिए ठप हो गए। इससे रातोंरात लाखों प्रवासी मजदूरों ( migrant labourers ) की कमाई छिन गई और मध्यम वर्ग के एक बड़े तबके के सामने रोजगार ( employment ) संकट खड़ा हो गया। लॉकडाउन ( Covid-19 Lockdown in India ) के दौरान ना जाने कितने लोगों ने शिकायत की कि मोदी सरकार ने इस बार उनके लिए बहुत कम काम किया है। जिन लोगों ने पिछले साल उन्हें सत्ता में बैठाया, वे अगली बार अपना वोट देने से पहले कई बार सोचेंगे।
अब तक इधर-उधर हुए लोगों की भावनाएं ज्यादातर वास्तविक हैं। किसी भी विश्वसनीय सर्वेक्षण ने भारत में रहने वाले 10 करोड़ से अधिक प्रवासी श्रमिकों के विचारों को नहीं परखा है। भारत में कोरोना वायरस से निपटने के लिए अपनाए गए तरीकों को लेकर पीएम मोदी ( pm modi ) की काफी तारीफ की गई। जाहिर सी बात है भले कितना विरोध हो, लेकिन संसद में ठोस बहुमत रखने वाली भाजपा ( BJP )के सामने कमजोर विपक्ष काफी हद तक अप्रभावी रहता है और इसे चलते 2024 आम चुनाव से पहले इसे चिंता करने की जरूरत नहीं है।
लेकिन देशभर के तमाम राज्यों से लॉकडाउन ( Covid-19 Lockdown in India ) का शिकार होने के बाद बिहार ( Bihar ) लौटे प्रवासी मजदूरों ( migrant labourers ) की भावनाएं आहत हैं, उनमें असंतोष है। देशभर से वापस बिहार ( Bihar ) लौट चुके प्रवासी मजदूरों ( migrant labourers ) जैसे मतदाताओं के बीच पीएम मोदी ( pm modi ) के प्रति दृष्टिकोण में व्यापक बदलाव आना, अगले 12 महीनों में राज्य के विधानसभा चुनावों में एक जोखिम बन सकता है। यह जोखिम राज्यसभा में भाजपा ( BJP ) के नेतृत्व वाले गठबंधन की ताकत को नष्ट करना शुरू कर सकता है।
वायरस को रोकने में लॉकडाउन ( Covid-19 Lockdown in India ) काफी हद तक नाकाम रहा है। जबकि मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में लंबे समय तक बेरोजगारी ने तनाव को बढ़ावा शुरू कर दिया है। अब पीएम मोदी ( pm modi ) की पहली परीक्षा नवंबर में बिहार ( Bihar ) में होगी। यह प्रदेश देश में प्रवासी श्रमिकों का सबसे बड़ा स्रोत है। यहां फिलहाल गठबंधन भाजपा ( BJP ) के गठबंधन वाली सरकार है। भारत के सबसे गरीब और सबसे अधिक आबादी वाले राज्य के रूप में यह एक राजनीतिक अगुवा की भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मंत्रालय ने दी जानकारी, कब खुलेंगे स्कूल और कब आएंगे CBSE के 10वीं-12वीं के नतीजे कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक यह कहना जल्दबाजी होगी कि इससे प्रधानमंत्री मोदी का राजनीतिक भाग्य प्रभावित होगा या नहीं। यह मुद्दा बिहार ( Bihar ) चुनावों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने की क्षमता रखता है लेकिन तब जब विपक्ष फिर से एक साथ आने में सक्षम हो।
रविवार को बिहार ( Bihar ) में भाजपा ( BJP ) के चुनावी अभियान की शुरुआत करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने संकेत दिया कि सत्तारूढ़ दल प्रवासी श्रमिकों के प्रति उठाए गए कदमों की आलोचना के प्रति संवेदनशील था। बिहार ( Bihar ) में दो-तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में वापसी का दावा करते हुए शाह ने प्रवासी मजदूरों ( migrant labourers ) से पीएम मोदी ( pm modi ) की आलोचना करने वाले विपक्षी नेताओं की उपेक्षा करने का आग्रह किया।
बता दें कि ये प्रवासी मजदूर ( migrant labourers ) भारत के कुल कामगारों का करीब पांचवां हिस्सा हैं। जो शहरों का निर्माण करते हैं और कारखाने चलाते हैं। कोरोना वायरस के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया देखकर उनमें रोष पैदा हो गया क्योंकि पीएम मोदी ने 25 मार्च को सिर्फ चार घंटे के नोटिस के साथ लॉकडाउन ( Covid-19 Lockdown in India ) की घोषणा की थी। इस दौरान तमाम लोग बिना नगदी और स्थानीय प्रशासन से बिना कोई सहायता पाए, जहां थे वहीं फंस गए।