24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राहुल गांधी: अमेठी से लगाई जीत की हैट्रिक, जन्मदिन से कुछ दिन पहले बने सांसद, 3 लाख वोटों से जीता पहला चुनाव

Rahul Gandhi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस मौके पर हम आपको बताएंगे कि कैसे एक समय में राजनीति से दूरी बनाने वाले राहुल आज कांग्रेस के सबसे बड़े नेता बन गए।

4 min read
Google source verification
 rahul-gandhi-became-mp-a-few-days-before-his-birthday

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी आज अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस मौके पर हम आपको उनकी जिंदगी के उन पहलुओं से रूबरू कराएंगे, जिसे बहुत कम लोग ही जानते हैं। राहुल गांधी को लोग उनके बयानों के लिए जानते है लेकिन बहुत कम लोग ही यह बात जानते है कि एक वक्त में कांग्रेस के युवराज कहे जाने वाले राहुल गांधी परिवार में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे है। लेकिन परिवार की वजह से राजनीति में आने वाले राहुल ने पहले तो चुनाव लड़ने से मना कर दिया लेकिन जब चुनाव लड़े तो लगातार जीत की हैट्रिक लगा दी।

गांधी खानदान के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे शख्स
आपको जानकारी हैरानी होगी की अक्सर अपने बयानों को लेकर देशभर से सुर्खियां बटोरने वाले राहुल गांधी अपने खानदान के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे शख्स हैं। राहुल ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज से डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स से एम फिल की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने कुछ दिनों तक एक कंपनी में नौकरी की। हालांकि इस दौरान सुरक्षा कारणों से उन्हें कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में अपनी पहचान छिपानी पड़ी थी और वह वहां राउल विंसी के नाम से जाने जाते थे।

पहले मना किया फिर लड़ा पहला चुनाव
कांग्रेस पर बारीक नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई बताते है कि राजनीति की वजह से अपनी दादी और पिता को खोने वाले राहुल राजनीति में नहीं आना चाहते थे। लेकिन जनवरी 2004 में जब वह पहली बार अमेठी गए तो वहां उन्होंने वहां चुनाव लड़ने का फैसला किया। 2004 में अमेठी लोकसभा सीट से लगातार 3 बार चुनाव चुनाव जीतकर उन्होंने जीत की हैट्रिक लगाई। लेकिन 2019 के चुनाव में वह वर्तमान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से अपना चौथा चुनाव हार गए। इस दौरान वह केरल के वायनाड से लोकसभा पहुंचने में कामयाब हो गए।

3 लाख वोटों से जीता पहला चुनाव
वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई बताते है कि राहुल गांधी ने अपने पहले ही चुनाव में रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की। उन्होंने अमेठी लोकसभा सीट से करीब तीन लाख मतों से चुनाव में जीत हासिल की। अमेठी लोकसभा सीट से पूर्व पीएम राजीव गांधी और सोनिया गांधी भी सांसद चुने जा चुके हैं। यह चुनाव उन्होंने अपने 34 वें जन्मदिन से कुछ दिन पहले ही जीता।

साइकिल से लेकर जहाज तक उड़ाना जानते हैं राहुल
ये बात बहुत कम लोग जानते है कि पूर्व प्रधानमंत्री और पायलट राजीव गांधी के बेटे राहुल गांधी को खेले का शौंक है। वह तैराकी, साइकिलिंग, बॉक्सिंग और निशानेबाजी भी जानते हैं। उन्होंने मार्सल आर्ट्स की भी ट्रेनिंग ली है। इसके साथ ही वह अपने पिता की तरह विमान उड़ाना भी जानते हैं। हालांकि उनके पास कमर्शियल पायलट का लाइसेंस नहीं है।

दादी और पिता की हत्या से लगा झटका
वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई अपनी किताब 24 अकबर रोड में लिखते है कि खेलकूद और पढ़ाई के शौकीन राहुल गांधी को पहला झटका 1984 में लगा जब उनकी दादी और देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उन सिख अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी, जिसके साथ राहुल बैडमिंटन खेला करते थे। इसके बाद उन्हें दूसरा झटका 21 साल की उम्र में लगा जब 1991 में लोकसभा चुनाव के दौरान उनके पिता राजीव गांधी की हत्या कर दी गई।

राहुल की लीडरशिप में हारी कांग्रेस
राहुल गांधी को पहली बार राजनीतिक तौर पर उस वक्त जोर का झटका लगा, जब कांग्रेस उनके पार्टी अध्यक्ष रहते 2019 का लोकसभा का चुनाव हारी। हालांकि कांग्रेस 2014 में भी चुनाव हारी थी। लेकिन उस वक्त पार्टी की कमान उनकी मां सोनिया गांधी के हाथों में थी।

बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहे राहुल
चुनावों के दौरान अपने बयानों की वजह से राहुल गांधी अक्सर विरोधियों के निशाने पर आ जाते है। एक चुनावी जनसभा के दौरान बाबरी मस्जिद को लेकर दिए गए बयान के वजह से वह विरोधियों के निशाने पर आ गए थे। उन्होंने कहा था कि बाबरी के विध्वंस के समय अगर गांधी परिवार का कोई सदस्य राजनीति में सक्रिय होता तो मस्जिद नहीं गिरती।

आजादी के बाद देश की सबसे बड़ी पैदल यात्रा की
कांग्रेस विरोधी दल राहुल की राजनीतिक योग्यता पर भले तमाम सवाल खड़े करें, लेकिन कांग्रेस में आज भी उनके कद का कोई नेता शायद नहीं है। कन्याकुमारी से कश्मीर तक स्वतंत्र भारत की सबसे लम्बी पैदल भारत जोड़ों यात्रा कर उन्होंने सबको चौंका दिया। इस यात्रा के बाद से उनकी छवि में काफी बदलाव आया।


इसके साथ ही भारत जोड़ों यात्रा का फायदा यह हुआ कि लगातार लोकसभा और विधानसभा चुनाव हार रही कांग्रेस ने 6 महिने के भीतर हिमाचल और कर्नाटक में अपनी सरकार बना ली। वहीं, भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी के आक्रामक प्रचार भी राहुल गांधी के सामने नहीं टिक पाई और भाजपा को दोनों ही राज्यों में हार का सामना करना पड़ा।