बेतुके बयान पर पहली बार बड़ा एक्शन
पार्टी सूत्रों के अनुसार गुरुवार को मणिशंकर अय्यर के प्रधानमंत्री के खिलाफ इस्तेमाल शब्दों से गुजरात में राजनीतिक नुकसान की आशंका थी। इस वजह से पहले उनसे माफी मांगने को कहा गया और बाद में उन्हें प्राथमिक सदस्यता से निलम्बित कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार पार्टी ने पहली बार किसी बयानवीर नेता के खिलाफ इतना कठोर कदम उठाया। इससे पहले पार्टी ऐसे नेताओं के बयानों का नोटिस तक नहीं लेती थी।
राहुल ने सभी नेताओं को दी चेतावनी
सूत्रों ने बताया कि अगले सप्ताह तक नए अध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण करने जा रहे राहुल गांधी इस मामले में पार्टी के कथित तौर पर वरिष्ठ नेताओं के ऐसे बयानों पर पहले भी नाराजगी जताते रहे हैं, लेकिन कमान सोनिया गांधी के हाथ में होने की वजह से ऐसे नेता बच निकलते थे, लेकिन अब चूंकि स्वयं राहुल अध्यक्ष बनने जा रहे हैं, ऐसे में उन्होंने कठोर निर्णय लेकर ऐसे तमाम नेताओं को स्पष्ट कर दिया है कि अब उनकी मां के जमाने की ढिलाई नहीं चलेगी और पार्टी लाइन का उल्लंघन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि राहुल ने इस निर्णय से पार्टी पर पकड़ और नियंत्रण की शुरुआत कर दी है।
सूत्रों ने बताया कि करीब एक माह पहले पूर्व गृहमंत्री चिदम्बरम भी जम्मू-कश्मीर की स्वायतत्ता पर बयान देकर पार्टी को बैकफुट पर ला दिया था। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी ने इस पर काफी नाराजगी जताई और चिदम्बरम को विवादास्पद बयान नहीं देने के लिए पाबंद किया गया था। पार्टी नेताओं के अनुसार उसके बाद से ही चिदम्बरम पर्दे के पीछे चले गए हैं। इसी तरह कपिल सिब्बल को भी सुप्रीम कोर्ट में रामजन्म भूमि मामले में दिए गए तर्क के लिए भावी अध्यक्ष की नाराजगी झेलनी पड़ी। बताया जा रहा है कि सिब्बल को कहा गया है कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों में वकील की हैसियत से पैरवी पार्टी के खिलाफ जाएगी तो उन्हें अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
सूत्रों के अनुसार अय्यर के बयान से खफा राहुल गांधी अय्यर को छह साल के लिए निष्कासित कर पूरी पार्टी को सख्त संदेश देना चाहते थे, लेकिन ऐन वक्त पर दस जनपथ ने बीच-बचाव कर नोटिस तथा प्राथमिक सदस्यता से निलम्बन का रास्ता निकाला। अब नोटिस का जवाब मिलने के बाद अय्यर की प्राथमिक सदस्यता बहाल करने पर विचार किया जा सकता है।