
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच चुनाव के बाद एक बार फिर समीकरण बदलते दिखाई दे रहे हैं। शिवसेना ने दोस्ताना अंदाज में ही सही लेकिन भाजपा को एक बार फिर आंखें दिखाना शुरू कर दी है। शिवसेना ने भाजपा की दुखती रग पर हाथ रखना शुरू कर दिया है। दो मोर्चों के जरिये शिवसेना ने भाजपा को बड़ी चेतावनी दे डाली है। एक राम मंदिर तो दूसरा लोकसभा डिप्टी स्पीकर का पद। ये दो इशारे एनडीए में हलचल बढ़ाने के लिए काफी है। हालांकि इसके पीछे शिवसेना का एक खास मकसद है वो मकसद क्या है इसके बारे में आगे चर्चा करते हैं...इससे पहले समझते हैं शिवसेना के दो बड़े दांव जो इस समय उन्होंने भाजपा पर चल दिए हैं।
पहला दांवः शिवसेना का राम प्रेम
लोकसभा चुनाव के दौरान राम मंदिर के नाम का जाप करने वाली शिवसेना ने एक बार फिर मंदिर के राग को अलापना शुरू कर दिया है। उनके इस राग ने भाजपा को पेशानी पर बल डाल दिए हैं। पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे 15 जून को अपने 18 सांसदों के साथ अयोध्यान जाने की तैयारी में हैं। यहीं नहीं पार्टी नेता संजय राउत ने साफ कहा है कि इस बार राम मंदिर निर्माण होकर रहेगा, क्योंकि ऐसा नहीं होता है तो लोगों को हम (एनडीए) पर से भरोसा उठ जाएगा। अब राम मंदिर के नाम पर शुरू से वोट बंटोरती आ रही भारतीय जनता पार्टी के लिए शिवसेना का राम प्रेम मुश्किल का कारण बन सकता है। राउत ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में जनता ने भाजपा को 303 और शिवसेना को 18 सीटें दी हैं। ऐसे में मंदिर निर्माण में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए।
उद्धव ठाकरे का अयोध्या जाने का समय भी काफी महत्वपूर्ण है। दरअसल 17 जून से संसद का सत्र शुरू होने जा रहा है। ऐसे में उद्धव का 15 जून को अयोध्या कूच करना सरकार के लिए सीधा संकेत हैं कि इस बार सत्र में राम स्वर गूंजने चाहिए।
दूसरा दांवः डिप्टी स्पीकर का पद
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बीजेपी प्रेसिडेंट और यूनियन होम मिनिस्टर अमित शाह से नई लोकसभा में डिप्टी स्पीकर की पोस्ट अपनी पार्टी को देने की मांग की है। पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि ये हमारी डिमांड नहीं है, हमारा ये नैचुरल क्लैम (सहज दावा) है। ये पद शिवसेना को मिलना चाहिए। आपको बता दें कि शिवसेना लोकसभा चुनाव में 18 सीटों पर जीत हासिल करके एनडीए के दूसरे सबसे बड़े सहयोगी दल के तौर पर उभरी है, इसलिए उद्धव ने ज्यादा मंत्री पद की मांग की है। उन्होंने एनडीए सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल अपनी पार्टी के इकलौते सांसद को ज्यादा दमदार पोर्टफोलियो दिए जाने पर जोर दिया है। फिलहाल मोदी कैबिनेट में शिवसेना के मंत्री अरविंद सावंत को हेवी इंडस्ट्रीज एंड पब्लिक एंटरप्राइजेज मिनिस्ट्री दी गई है।
राउत ने कहा, कि बीजेपी को लोकसभा में अपने बल पर बहुमत मिलने से हमें बहुत खुशी हुई है, लेकिन सहयोगी दलों की ताकत का भी सम्मान होना जरूरी है। ऐसे में लोकसभा में 18 और राज्यसभा में तीन सदस्यों वाली शिवसेना के लिए सिर्फ एक मंत्री पद संसद में उनकी पार्टी की क्षमता से हिसाब से ठीक नहीं है। यही वजह है कि शिवसेना को मोदी कैबिनेट में बेहतर प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। यह काम मंत्रिमंडल में जल्द विस्तार से हो सकता है।
शिवसेना के ये दो दांव नई नवेली सरकार पर भारी पड़ सकते हैं। जिस मुद्दे लंबे समय से भाजपा भुनाती आ रही है उसमें किसी भी तरह की ढील या कमजोर पकड़ उसके जनाधार के लिए नई परेशानी खड़ी कर सकती है।
बीजेडी से टकराव
डिप्टी स्पीकर पद की मांग के पीछे भी शिवसेना का बड़ा खेल है। एनडीए में पार्टी अपने कद से आगे किसी को बढ़ने नहीं देना चाहती है। यही वजह है कि शिवसेना ने इस पद की दावेदारी उस वक्त की है जब सियासी हलकों में ये खबर तेजी फैल रही है कि बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक भाजपा से भर्तहरि महताब की जगह पिनाकी मिश्रा को नई लोकसभा में सदन का नेता बनाए जाने के बाद अब महताब को डिप्टी स्पीकर बनाए जाने की बात कर सकता है। ऐसे में शिवसेना ने बड़ा दांव चलते हुए अपनी दावेदारी भी ठोक दी है।
विधानसभा चुनाव का गणित
शिवसेना की इन सब उधेड़बुन का मकसद महाराष्ट्र में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को साधना है। यही वजह है कि पार्टी प्रदेश में अपने जनाधार को बढ़ाने और चुनाव को फतह करने के लिए हर मुमकिन कोशिश में जुटी है। भाजपा के साथ पार्टी 50-50 के अनुपात में चुनाव लड़ने का मन बना रही है। हालांकि अभी फॉर्मूले पर अंतिम मुहर नहीं लगी है, लेकिन शिवसेना कोई भी चूक नहीं चाहती है।
Updated on:
06 Jun 2019 04:13 pm
Published on:
06 Jun 2019 01:06 pm
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