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नई दिल्ली। मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक ( triple talaq Bill ) से मुक्ति दिलाने के लिए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को लोकसभा ( Lok Sabha ) में तीन तलाक बिल पेश किया। इस बिल को पेश करते ही कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इसके तरीके पर सवाल उठाते हुए विरोध में हंगामा चालू कर दिया। जहां प्रसाद ने इस बिल को नारी के साथ न्याय और गरिमा का सवाल बताया, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल को संविधान विरोधी और आर्टिकल 14 व 15 का उल्लंघन करार दिया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने इस बिल को पेश करने के लिए वोटिंग भी कराई, जिसमें इसके पक्ष में 186 जबकि विरोध में 74 मत पड़े।
लोकसभा में शुक्रवार को वोटिंग के आधार पर लोकसभा में तीन तलाक बिल पेश किया गया। बिल को लोकसभा में पेश करने के पक्ष में पड़े 186 वोट, जबकि विरोध में 74 वोट पड़े। ध्वनि मत पर विपक्ष ने आपत्ति जताई जबकि वोटिंग के आधार पर लोकसभा से बिल पास हो गया।
इस बिल के पक्ष में रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ये नारी न्याय और गरिमा का सवाल है। संविधान की प्रक्रिया के तहत नया बिल लाए हम लेकर आए हैं। विपक्ष के हंगामे पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सदन को अदालत न बनाएं।
वहीं, इसके विरोध में AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह बिल संविधान के खिलाफ है। इस बिल से सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को सजा मिलेगी, सरकार को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी क्यों है, केरल की हिंदू महिलाओं की चिंता सरकार क्यों नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया है।
उन्होंने आगे कहा कि असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि गैर मुस्लिम को अलग सजा, मुस्लिम को अलग सजा क्या यह संविधान का प्रावधान है? उन्होंने कहा कि इस कानून से मुस्लिम महिलाओं पर बोझ बढेगा। पुरुष अगर जेल में जाएगा तो कौन उनका ख्याल रखेगा। महिलाओं को कौन मेंटेनेंस देगा?
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा उनकी पार्टी तीन तलाक बिल का विरोध करती है। इसमें आपराधिक अनुच्छेद शामिल करना गलत है। उन्होंने कहा कि इसके मसौदे को बदलना चाहिए। इस बिल से मुस्लिम महिला का कोई भला नहीं होगा। थरूर ने कहा कि इस बिल के दुरुपयोग होने की संभावना ज्यादा है।
मोदी सरकार पिछले कार्यकाल में तीन तलाक बिल ( Triple Talaq Bill ) लेकर आई थी। हालांकि लोकसभा में पास होने के बाद यह बिल राज्यसभा से पास नहीं हो पाया था। सदन भंग होने के कारण एक बार फिर नए सिरे से इस बिल को लाया जा रहा है। इस बिल का नाम ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) बिल 2019’ है।
JDU करेगी बिल का विरोध
तीन तलाक बिल ( Triple Talaq Bill ) को लेकर मोदी सरकार को कई पार्टियों का समर्थन है। लेकिन, कुछ दल इस बिल का विरोध भी कर रहे हैं। विरोध करने में बीजेपी ( BJP ) के सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड ( JDU ) और कांग्रेस पार्टी शामिल हैं।
जेडीयू ने गुरुवार को ऐलान किया है कि वह तीन तलाक बिल ( Triple Talaq Bill ) पर एनडीए ( NDA ) का समर्थन नहीं करेगी।
नीतीश सरकार में मंत्री श्याम रजक ने कहा कि जेडीयू तीन तलाक बिल के खिलाफ है और हम लगातार इसका विरोध करेंगे। श्याम रजक ने कहा कि यह एक सामाजिक मुद्दा है और समाज के जरिए इसका हल निकाला जाना चाहिए।
गौरतलब है कि बिहार के सीएम और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार भी तीन तलाक बिल का विरोध कर चुके हैं।
तीन तलाक बिल ( Triple Talaq Bill ) का कांग्रेस ने किया विरोध
जेडीयू के साथ-साथ कांग्रेस ने भी तीन तलाक बिल ( Triple Talaq Bill ) के विरोध का ऐलान किया है। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस बिल में कुछ प्रावधानों पर बहस की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि इस बिल पर कांग्रेस ने कुछ बुनियादी मुद्दे उठाए हैं और सरकार कई बिंदुओं पर सहमत है। सिंघवी ने कहा कि सरकार अगर पहले ही हमारी बात मान लेती तो काफी समय बच गया होता।
यहां आपको बताते चलें कि मोदी कैबिनेट ने बुधवार को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी। यह फरवरी में लाए अध्यादेश की जगह लेगा।
मोदी सरकार का कहना है कि यह बिल लैंगिक समानता और लैंगिक न्याय सुनिश्चित करेगा। साथ ही शादीशुदा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा भी करेगा और 'तलाक-ए-बिद्दत' को भी रोकेगा।
पिछले साल दिसंबर में तीन तलाक बिल ( Triple Talaq Bill ) लोकसभा में पास हो गया था। लेकिन, राज्यसभा में संख्या बल कम होने के कारण बिल पास नहीं हो पाया।
इस बिल में पत्नी को इंस्टेंट तीन तलाक देने वाले मुस्लिम शख्स के लिए तीन साल सजा का प्रावधान है।
Updated on:
21 Jun 2019 04:44 pm
Published on:
21 Jun 2019 09:05 am
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