
नई दिल्ली।लोकसभा में आज यानी गुरुवार को तीन तलाक बिल ( triple talaq Bill ) पेश हो गया है। बिल पर चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद नेक कहा कि महिलाओं के साथ न्याय संविधान का मूल दर्शन है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को न्याय दिलाना उनका अहम विषय है। उन्होंने विपक्षी दलों से तीन तलाक बिल को सियासी चश्मे से न देखने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह धर्म और सियासत का मामला नहीं है। इसको इंसाफ और इंसानियत की नजरों से देखा जाना चाहिए।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ट्रिपल तलाक मामले में सदन की मौन नहीं साधेगी। कानून मंत्री यह नारी न्याय और नारी के सम्मान से जुड़ा मामला है। रविशंकर ने कहा कि पहले जब बिल लाया गया था, उस समय कुछ आशंकाएं जरूरी थीं, लेकिन अब उनको दूर कर लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी तीन तलाक को असंवैधानिक बताया है। कोर्ट के फैसले पर लाए अध्यादेश के बाद महिलाएं असुरक्षित नहीं रह गईं हैं। उन्होंने कहा कि तीन तलाक से पीड़ित मुस्लिम बहनों को न्याय दिला कर रहेंगे। उन्होंने कहा कि छोटी—छोटी बातों पर महिलाओं को तलाक दिया जाता है।
कानून मंत्री ने कहा कि अब ट्रिपल तलाक मामले में पीड़ित और उसके संबंधी ही केस कर सकते हैं। जबकि जमानत के लिए मजिस्ट्रेट को अधिकार दिए हैं। लेकिन जमान पीड़ित को सुनने के बाद ही दी जा सकती है।रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में जानकारी देते हुए बताया कि इस साल 24 जुलाई तक 3 तलाक के 574 मामले दर्ज किए हैं।
मीनाक्षी लेखी के निशाने पर राजीव और नेहरू
वहीं, लोकसभा में भाजपा की सांसद मीनाक्षी लेखी ने कि पूर्व प्रधानमंत्री पडित जवाहर लाल नेहरू ही की तरह पीएम मोदी के सामने धार्मिक देश में धर्म निरपेक्ष राज्य बनाने की चुनौती है। लेखी ने कहा कि धार्मिक कानून पूरी तरह से गलत है और इस सोच को बदलना चाहिए। बाबा साहब का जिक्र करते हुए भाजपा सांसद ने कहा कि वह हिन्दू कानूनों पर रोक लगाना चाहते है। यही कारण है कि उन्होंने फिर बाद में कांग्रेस छोड़ दी। लेखी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री होने का हक अदा कर रहे हैं। लेकिन अफसोस की बात यह है कि पूर्व पीएम नेहरू के बाद राजीव गांधी ने ऐसा नहीं किया। इस दौरान अखिलेश यादव और मीनाक्षी लेखी के बीच तीखी बहस भी हुई।
भाजपा ने इसके लिए व्हिप जारी कर अपने सांसदों को सदन में मौजूद रहने का निर्देश दिया था। वहीं, कांग्रेस ने भी अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी किया था। और सभी सदस्यों को संसद के दोनों सदनों में मौजूद रहने को कहा था। भाजपा नीत राजग का घटक दल जेडीयू लोकसभा में तीन तलाक बिल का विरोध कर रहा है। आपको बता दें कि तीन तलाक बिल लोकसभा में तीसरी बार पेश हुआ है।
वहीं, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने गुरुवार अपने बयान में कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर पीर बयान से ध्यान भटकाने के लिए तीन तलाक बिल लाई है।
गौरतलब है कि भारी बहुमत से दूसरी बार सत्ता संभालने के बाद मोदी सरकार ने लोकसभा के पहले सत्र में तीन तलाक विधेयक ( Triple Talaq Bill ) का मसौदा पेश किया था।
आज यह विधेयक लोकसभा की मंजूरी के लिए रखा जाएगा। आपको बता दें कि इससे पहले संसद में बजट सत्र के पांचवें दिन 21 जून को ही इस विधेयक का मसौदा पेश किया गया था जिस पर विपक्षी दलों ने कड़ा ऐतराज जताया था।
विरोध के बीच तीन तलाक विधेयक ( Triple Talaq Bill ) लोकसभा में पेश
सरकार ने विपक्ष के विरोध के बीच 21 जून को तीन तलाक ( Triple Talaq Bill ) पर तत्काल प्रतिबंध लगाने और भारतीय दंड संहिता के तहत इस प्रथा को दंडनीय अपराध बनाने के लिए लोकसभा में विधेयक पेश किया था।
विपक्ष ने आरोप लगाया था कि यह मुस्लिम परिवारों को नुकसान पहुंचाएगा और यह विधेयक भेदभावपूर्ण है।
केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जैसे ही तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने के लिए मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 लोकसभा में पेश किया था, विपक्षी सदस्यों ने मांग की कि राजनीतिक दलों के सभी सांसदों को शामिल करने के लिए इस पर व्यापक विचार-विमर्श किया जाना चाहिए।
विपक्ष ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से विधेयक पेश किए जाने के दौरान मत विभाजन का अनुरोध किया था। 186 सांसदों ने विधेयक ( Triple Talaq Bill ) के पक्ष में मतदान किया, वहीं 74 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया था।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसे पेश करते हुए कहा था कि लोगों ने सरकार को कानून बनाने के लिए चुना और ऐसा करना उनका कर्तव्य है। उन्होंने यह भी कहा कि सांसदों को न्यायाधीश नहीं बनना चाहिए।
प्रसाद ने कहा था कि यह कानून तीन तलाक ( Triple Talaq Bill ) की पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए है.. जानकारी के अनुसार, 2017 के बाद तीन तालक के कुल 543 मामले प्रकाश में आए।
"इनमें से 229 सर्वोच्च न्यायालय के फैसले (प्रथा को असंवैधानिक घोषित करने) के बाद सामने आए और इस मुद्दे पर अध्यादेश जारी होने के बाद केवल 31 मामले सामने आए हैं।"
मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे पेश किए ( Triple Talaq Bill ) जाने के दौरान मत विभाजन की मांग की थी।
ओवैसी ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत यदि कोई पुरुष अपनी पत्नी को छोड़ता है, तो उसे एक साल की जेल का प्रावधान है। उन्होंने जानना चाहा कि ऐसा प्रावधान क्यों किया जा रहा है कि मुस्लिम पुरुषों को इसी अपराध में तीन साल की सजा मिलेगी। उन्होंने कहा कि वह इसकी वजह जानना चाहते हैं।
Updated on:
25 Jul 2019 04:29 pm
Published on:
25 Jul 2019 08:42 am
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