सवर्ण जातियों में मोदी सरकार के खिलाफ बढ़ती नाराजगी को देखते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को कई शीर्ष मंत्रियों के साथ बैठक बुलाई। अमित शाह की इस बैठक में मोदी सरकार के शीर्ष मंत्रियों में अरुण जेटली, निर्मला सीतारमण, प्रकाश जवाड़ेकर, जेपी नड्डा, रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल और स्मृति ईरानी ने हिस्सा लिया। इसके अलावा भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव, रामलाल और मीनाक्षी लेखी भी बैठक में शामिल हुईं। जानकारी के मुताबिक भाजपा नेताओं से सवर्ण वर्गों की नाराजगी को लेकर चर्चा की गई। बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि मोदी सरकार की ओर से ओबीसी और दलितों को लेकर किए गए फैसलों से सवर्ण जाति में नाराजगी फैल रही है और इस नाराजगी को कैसे दूर किया जाए। शाह की समस्या यह है कि वो उस सर्वमान्य फार्मूले को तलाश नहीं पा रहे हैं जिससे सवर्ण सहित एससी/एसटी और ओबीसी जाति में से किसी भी जाति के लोग नाराज ना हों। इसी मसले को लेकर अमित शाह ने एनडीए के घटक दलों के नेताओं के साथ भी बात की है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार की ओर से लाए गए एससी/एसटी कानून को लेकर कई सवर्ण संगठनों द्वारा छह सितंबर को आहूत की गई भारत बंद के मद्देनजर समूचे मध्य प्रदेश में पुलिस अलर्ट हो गई है। इसी के तहत राज्य के 3 जिलों मुरैना, भिंड और शिवपुरी में ऐहतियाती तौर पर मंगलवार से धारा 144 तत्काल प्रभाव से लगा दी गई जो सात सितंबर तक प्रभावी रहेगी। मध्य प्रदेश में एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था (सपाक्स) के द्वारा शुरू किया गया आंदोलन पूरे राज्य में फैलता जा रहा है। प्रशासन को डर है कि राज्य में विरोध प्रदर्शन के दौरान दलित समुदाय के युवा प्रदर्शन कर सकते हैं और अगर ऐसा होता है तो हिंसा भड़क सकती है। मध्य प्रदेश के पुलिस महानिरीक्षक (इंटेलीजेंस) मकरंद देउस्कर ने कहा कि भारत बंद के मद्देनजर राज्य के सभी 51 जिलों के पुलिस अधीक्षकों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। इससे पहले इसी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले के खिलाफ दलित संगठनों ने दो अप्रैल को भारत बंद किया था। इस दौरान सबसे ज्यादा हिंसा ग्वालियर और चंबल संभाग में हुई थी। अब सवर्ण समुदाय के लोग भी एकजुट हो रहे हैं।
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव से चंद महीनों पहले एससी-एसटी और ओबीसी को लुभाने की कोशिशों में भाजपा के जुटने से सवर्ण वर्ग के लोग नाराज होते जा रहे हैं। पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि सभी को एक साथ ले चल पाने में कितना कामयाब हो पाती है। एससी-एसटी और ओबीसी को लेकर किए गए फैसलों से केंद्र की मोदी सरकार को सवर्ण जातियों की नाराजगी मोल लेनी पड़ रही है।