दरअसल, CAATSA एक ऐसी व्यवस्था है जिसके तहत अमरीका अपने हितों के खिलाफ रूस से अत्याधुनिक मिसाइल खरीदने पर क्रेता और विक्रेता दोनों देशों पर प्रतिबंध लगाता है। भारत और रूस के बीच एस-400 डील भी उसी के दायरे में आता है। CAATSA का पूरा नाम ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेक्शंस एक्ट’ (काटसा) है। इस अमरीकी कानून के तहत रूस से कोई बड़ी रक्षा खरीद करने वाले देश पर अमरीका सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगस्त में रूस की इस आधुनिक डिफेंस मिसाइल सिस्टम को ध्यान में रखते हुए काटसा कानून को मंजूरी दी थी। ट्रंप प्रशासन ने रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमरीका के हितों के खिलाफ काम करने से रोकने के लिए यह कानून तैयार किया है। अमरीका का आरोप है कि रूस ने 2014 में यूक्रेन पर हमला कर क्रीमिया पर कब्जा करने, सीरिया गृह युद्ध में शरीक होने और 2016 के अमरीकी राष्ट्रपति के चुनाव में दखल देकर अमरीकी हितों को नुकसान पहुंचाने का काम किया है।
हाल ही में अमरीका की राजनीतिक एवं सैन्य मामलों की मुख्य उपसहायक मंत्री टीना कैदानाऊ ने कहा था कि रूस से बड़ी रक्षा प्रणालियां खरीदने की योजना बना रहे अन्य देशों की तरह ही हमने भारत सरकार के साथ भी काटसा पर चर्चा की है। हम अपने सभी साझेदार देशों के साथ उन कामों की पहचान और बचाव करना चाहते हैं जो प्रतिबंधित गतिविधि हो सकती है। इस मामले में भारत सरकार को भी अमरीका ने अपनी चिंता से अवगत करा दिया है। इसके बावजूद अगर भारत और रूस के बीच यह समझौता होता है तो काटसा प्रतिबंध का इस्तेमाल ट्रंप प्रशासन कर सकता है।
आपको बता दें कि भारत अपनी रक्षा जरुरतों के चलते अमरीकी प्रतिबंध की आशंकाओं को दरकिनार करते हुए रूस के साथ यह डील करने का फैसला किया है। भारत को उम्मीद है कि उसकी रक्षा जरुरतों को समझते हुए एस-400 डील पर अमेरिका काटसा प्रतिबंध नहीं लगाएगा। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने भी 2प्लस2 की बैठक के दौरान अमरीकी प्रतिनिधिमंडल को अपनी चिंता से अवगत कराया था। साथ ही अमरीका को कहा गया था कि वो भारत की सुरक्षा चिंताओं को समझने की कोशिश करेगा।