
नई दिल्ली: भाजपा नेता वरुण गांधी ने मांग की है कि ग्रामीण इलाकों से आने वाले गैर अंग्रेजी भाषी युवाओं के साथ यूपीएससी की परीक्षा में होने वाला भेदभाव खत्म होना चाहिए। उन्होंने इन छात्रों की समस्या पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अध्यक्ष को खुद तो पत्र लिखा ही है, अन्य सांसदों को भी इसके लिए आगे बढऩे की अपील की है। अपने पत्र में गांधी ने लिखा है कि वर्ष 2011 से प्रीलिम परीक्षा में सिविल सर्विसेज एप्टिट्यूड टेस्ट (सीएसएटी) शामिल किया गया है। जबकि उससे पहले उम्मीदवारों को अपना वैकल्पिक विषय चुनने की छूट होती थी।
प्रतिभाशाली छात्रों की हो रही अनदेखी
यह व्यवस्था शहरों में अंग्रेजी माध्यम में पढऩे वालों और इंजीनियरिंग आदि परीक्षा की तैयारी कर चुके छात्रों के लिए तो अनुकूल होती है, लेकिन आम प्रतिभाशाली छात्र इसमें पिछड़ जाते हैं। यह व्यवस्था लागू होने से पहले तक मुख्य परीक्षा के लिए चयनित होने वाले अभ्यार्थियों में गैर अंग्रेजी भाषा के 40 फीसदी होते थे और अंग्रेजी माध्यम वाले 60 फीसदी। लेकिन यह व्यवस्था शुरू होने के बाद से यह अनुपात 20:80 का हो गया है।
यूपीएससी को मांग पत्र भेजा
वरुण गांधी ने इस बारे में कहा, 'ग्रामीण इलाके के सिविल सेवा अभ्यर्थियों को होने वाली समस्या पर मैंने यूपीएससी को यह मांगपत्र भेजा है। उन्हें अलग से एक कंपंसेटरी प्रीलिम एक्जाम का मौका दिया जाना चाहिए। साथ ही मैं दूसरे सांसदों से भी अपील करता हूं कि वे इस पेटीशन पर दस्तखत करें।
कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं वरुण गांधी
गौरतलब है कि राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि राहुल गांधी की ताजपोशी के बाद भाजपा सांसद वरुण गांधी के कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। बताते चले कि वरुण गांधी भाजपा के नेता हैं। लेकिन पार्टी में उन्हें कोई तवज्जो नहीं मिल रही है। इससे वरुण गांधी खुद नाराज चल रहे हैं। वरुण गांधी राहुल गांधी के चचेरे भाई हैं।
Published on:
30 Nov 2017 09:53 pm
बड़ी खबरें
View Allराजनीति
ट्रेंडिंग
