
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता हर भारतीय के रक्त और धमनियों में समाहित है और किसी देश से ज्यादा भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं। भारत के आंतरिक मामलों में टिप्पणी करने के लिए कुछ देशों की दोष ढूंढने की प्रवृत्ति को लेकर उन्होंने उन देशों से भारत के आंतरिक मामलों में सलाह देने से बाज आने को कहा।
'वसुधैव कुटुंबकम' भारतीय संस्कृति का सार
उन्होंने भारत को सबसे बड़ा संसदीय लोकतंत्र बताया और कहा कि भारत अपने आंतरिक मामलों को संभालने में सक्षम है। तेलंगाना के वारंगल शहर स्थित आंध्र विद्याभी वर्धिनी (एवीवी) शैक्षणिक संस्थान के प्लैटिनम जुबली समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि 'वसुधैव कुटुंबकम' भारतीय संस्कृति का सार है।
सभी धर्मों का सम्मान हमारी संस्कृति
उन्होंने कहा कि- "धर्मनिरपेक्षता हर भारतीय के रक्त एवं धमनी में संचरित है और किसी अन्य देश से कहीं ज्यादा भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित है।" उन्होंने कहा कि- "सभी धर्मो का सम्मान और सर्वधर्म समभाव हमारी संस्कृति है। हमें हमेशा इसका पालन करना चाहिए।"
किसी को भी विरोध करने का अधिकार
विकास के लिए शांति की आवश्यकता पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को मतभेद और विरोध करने का अधिकार है, लेकिन यह शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए। उन्होंने युवाओं से जीवन में सकारात्मक प्रवृत्ति विकसित करने और रचनात्मक सोच रखने की अपील की।
प्रशासन में भारतीय भाषाओं पर बल
उन्होंने प्रशासन में भारतीय भाषाओं का इस्तेमाल बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि इससे न सिर्फ लोगों का प्रशासन के साथ निकटता बढ़ेगी, बल्कि समृद्ध भाषाई विरासत का भी संरक्षण होगा।
Updated on:
24 Feb 2020 09:36 am
Published on:
24 Feb 2020 09:31 am
बड़ी खबरें
View Allराजनीति
ट्रेंडिंग
