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नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में ममता जीत की हैट्रिक लगा चुकी हैं। आने वाले पांच सालों में वो पूर्ण बहुमत की सरकार चलाएंगी। इस जीत के साथ उन्होंने एक और रिकॉर्ड कायम किया है। वो 213 सीटों पर जीत हासिल करेंगी ( अगर लीडिंग 3 सीटों पर जीतती हैं तो ) ऐसे में उन्होंने अपने 2016 का रिकॉर्ड भी ध्वस्त किया है। उन्होंने 2016 में 2011 सीटों पर जीत हासिल की थी। बंगाल के इतिहास में कोई भी पार्टी इतनी सीटें हासिल नहीं कर सकी। वहीं उनकी पार्टी ने जो रिकॉर्ड बनाया है वो और भी ज्यादा अहम हैं। 50 साल में पहली बार ऐसा देखने को मिला है, जब किसी एक पार्टी को बंगाल की जनता ने इतना वोट दिया है। आइए आपको भी बताते हैं कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी और बाकी बड़ी पार्टियों कितना वोट मिला।
टीएमसी को मिला 48 फीसदी वोट
पश्चिम बंगाल के 2021 के चुनाव में टीएमसी को बंगाल की जनता ने 2016 के मुकाबले ज्यादा प्यार दिया। 2016 में जहां टीएमसी को 44 फीसदी के आसपास वोट मिला था, इस बार यह संख्या करीब 48 फीसदी तक पहुंच गई। वहीं सीटों की संख्या में भी इजाफा देखने को मिला है। 2016 में ममता की पार्टी 211 सीटों में जीत हासिल की थी, वहीं इस बार बार वो 213 सीटों पर जीत हासिल करती हुई दिखाई दे रही हैं। बंगाल में इस बार दूसरे नंबर पर बीजेपी है। जिससे इस बार 38 फीसदी वोट मिला है। साथ ही 77 सीटों पर जीत हासिल की थी। बीजेपी ने 2016 में सिर्फ 3 सीटों पर जीत हासिल की थी और 10 फीसदी के आसपास वोट मिले थे। यानी बीजेपी के वोट बैंक में पिछली बार ज्यादा 28 फीसदी का इजाफा हुआ है।
2021 के चुनाव में किस पार्टी को मिले कितने वोट
| पार्टी का नाम | वोट ( फीसदी में ) |
| टीएमसी | 47.93 |
| बीजेपी | 38.14 |
| सीपीआईएम | 04.72 |
| कांग्रेस | 02.94 |
| अन्य | 05.19 |
| नोटा | 01.08 |
50 साल में पहली बार
खास बात तो ये है बीते 50 साल में पहली बार ऐसा देखने को मिला है कि बंगाल के 45 फीसदी से ज्यादा वोटर्स ने किसी एक पार्टी के पक्ष में वोट डाला है। उससे पहले 1972 के चुनाव में कांग्रेस आर को 49.08 फीसदी वोट मिले थे। खुद टीएमसी भी भी 2016 के चुनाव 45 फीसदी के आंकड़े को छू पाने में मामूली अंतर से चूक गई थी। इस बार ममता ने यह आंकड़ा 48 फीसदी पहुंचा दिया है, जो कि काफी बड़ी उपलब्धि है। कांग्रेस आर से पहले यूनाइटिड फ्रंट और कांग्रेस ही यह आंकड़ा पार कर सकी थी। जबकि सीपीआईएम ने बंगाल में काफी सालों तक राज किया 1977 से 1991 और 1996 से 2006 तक लगातार चुनाव जीते और सरकार बनाई, लेकिन उसे कभी 40 फीसदी तक वोट नहीं मिले।
बंगाल के इतिहास में किस पार्टी कितने पड़े वोट
| साल | पार्टी | वोट ( फीसदी में ) |
| 1952 | कांग्रेस | 63.56 |
| 1957 | कांग्रेस | 46.14 |
| 1962 | कांग्रेस | 47.29 |
| 1967 | कांग्रेस | 41.13 |
| 1969 | यूनाइटिड फ्रंट | 49.70 |
| 1972 | कांग्रेस आर | 49.08 |
| 1977 | सीपीआईएम | 35.46 |
| 1982 | सीपीआईएम | 38.49 |
| 1987 | सीपीआईएम | 39.12 |
| 1991 | सीपीआईएम | 35.37 |
| 1996 | कांग्रेस | 39.48 |
| 2001 | सीपीआईएम | 36.59 |
| 2006 | सीपीआईएम | 37.13 |
| 2011 | टीएमसी | 38.93 |
| 2016 | टीएमसी | 44.91 |
70 सालों में फिर कभी नहीं हुआ ऐसा
बंगाल के चुनावी इतिहास में बीते 70 साल में कभी ऐसा नहीं जब किसी पार्टी को 50 फीसदी या उससे ज्यादा वोट मिला हो। 1952 में बंगाल में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे और उसमें कांग्रेस को 63.56 फीसदी वोट मिले। उसके बाद तब से आज तक किसी को भी 50 फीसदी वोट नहीं मिले। यूनाइटिड फ्रंट ने 1969 के चुनाव में 50 फीसदी के आंकड़े तक पहुंचने की कोशिश की तो, लेकिन मामूली अंतर से पीछे रह गए। अगर बात आज कांग्रेस की करें तो उसे 2021 के चुनावों में 3 फीसदी फीसदी वोट भी नहीं मिले।
Updated on:
03 May 2021 01:33 pm
Published on:
03 May 2021 11:27 am
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