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करुणानिधि को मरीन बीच पर दफनाने को लेकर बवाल क्यों, जानिए 10 बड़ी वजहें

मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के बाद दक्षिण भारतीय राजनीति के पुरोध एम करुणानिधि को मरीना बीच पर ही दफनाया जाएगा।

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करुणानिधि को मरीना बीच पर दफनाने को लेकर बवाल क्यों, जानिए 10 बड़ी वजहें

नई दिल्ली। डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के महान नेता एम करुणानिधि को मरीना बीच पर दफनाने को लेकर विवाद मद्रास हाईकोर्ट के फैसले से समाप्‍त हो गया है। डीएमके की याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट में आधी रात को सुनवाई हुई। हालांकि कोर्ट ने मामले को सुबह 8 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया लेकिन सुबह हुई सुनवाई के बाद मरीन बीच पर करुणानिधि को दफनाने की इजाजत डीएमके को मिल गई है। इससे पहले तमिलनाडु सरकार ने मरीना बीच पर जगह देने से इनकार कर दिया था। सरकार ने करुणानिधि को दफनाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री सी राजगोपालचारी और के कामराज के स्मारकों के समीप जगह देने की पेशकश की थी। डीएमके इसके लिए राजी नहीं थी और इस बात को लेकर विवाद शुरू हो गया था।

विवाद से जुड़ी 10 बड़ी बातें:

1. तमिलनाडु के पांच बार सीएम रहे एम करुणानिधि को तबीयत खराब होने के बाद 28 जुलाई को चेन्नई के कावेरी कावेरी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मंगलवार शाम को छह बजकर 10 मिनट पर उनका निधन हो गया। तमिलनाडु की राजनीति में वह छह दशक तक छाए रहे। एमजी रामचंद्रन और जयललिता के अलावा वह इकलौते नेता थे जिन्होंने प्रदेश के हर वर्ग में अपनी जगह बनाई।

2. उनके निधन के बाद डीएमके कह रही है कि करुणानिधि को मरीन बीच पर दफनाने की छूट मिले। पार्टी का कहना है कि हम अभी तत्काल मेमोरियल की मांग नहीं कर रहे हैं। सिर्फ इतनी मांग है कि करुणानिधि को उनके मेंटर रहे अन्नादुराई के निकट दफनाया जाए।

3. कल प्रदेश सरकार ने पहले मरीना बीच पर जगह देने से इनकार कर दिया था। सरकार का कहना था कि मरीना बीच को लेकर मद्रास हाईकोर्ट में तमाम केस चल रहे हैं और कानूनी अड़चने हैं। सरकार की ओर से जमीन देने से इनकार करने के बाद इस पर विवाद शुरू हो गया। डीएमके इस मामले को लेकर रात में ही अदालत पहुंची और देर रात को इस मामले की सुनवाई हुई।

4. प्रदेश सरकार ने करुणानिधि को दफनाने के लिए मरीना बीच से करीब आठ किलोमीटर दूर गांधी मंडपम में जगह देने की पेशकश की थी। यहां पूर्व मुख्यमंत्री सी राजगोपालचारी और के कामराज के स्मारक भी हैं। डीएमके तमिलनाडु सरकार के इस प्रस्ताव पर राजी नहीं हुई है।

5. मरीन बीच पर अभी तक सिर्फ दो मुख्यमंत्रियों को दफनाने के लिए जगह मिली है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुराई और एमजी रामचंद्रन शामिल हैं। सीएन अन्नादुराई ने डीएमके की स्थापना की थी। जबकि एमजी रामचंद्रन एआईएडीएमके के संस्थापक हैं।

6. 2016 में जयललिता के निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार भी मरीना बीच पर ही किया गया। जयललिता का अंतिम संस्कार उनके गुरु रहे एमजी रामचंद्रन के मेमोरियल में ही हुआ जो पहले से ही वहां था।

7. मद्रास हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से पूछा कि क्या वो इसके लिए तैयार थे? कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में एक-एक मिनट की देरी से राज्य सरकार के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। ऐसा इसलिए कि तमिलनाडु सरकार द्वारा करुणानिधि को मरीना बीच पर दफनाने के लिए जगह देने से इनकार करने के बाद से ही उनके प्रशंसक और पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी है।

8. राहुल गांधी, सीताराम येचुरी, डी राजा, रजनीकांत, फारुक अब्‍दुल्‍ला समेत कई विपक्षी नेताओं और अभिनेताओं ने डीएमके की इस मांग का समर्थन किया है। जबकि सरकार मरीना बीच पर करुणानिधि को दफनाने के लिए इसलिए जगह देने को तैयार नहीं है क्योंकि वह वर्तमान मुख्यमंत्री नहीं थे।

9. करुणानिधि के निधन के बाद राष्ट्रपति, पीएम समेत तमाम बड़े नेताओं ने शोक प्रकट किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने ट्वीट किया श्री एम करुणानिधि के बारे में सुनकर दुख हुआ। दूसरी तरफ पीएम अंतिम संस्कार में भाग लेने तमिलनाडु पहुंच गए हैं।

10. मद्रास हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश हुलुवादी जी रमेश की अगुवाई वाली दो जजों की बेंच ने बहस सुनी। बहस सुनने के बाद जजों की पीठ ने अंतिम फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने एम करुणानिधि को मरीना बीच पर दफनाने की अनुमति दी है।