
राहुल गांधी को यशवंत सिन्हा की नसीहत, पीएम मोदी के नक्शेकदम पर न चलें
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पूर्व बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने पीएम नरेंद्र मोदी के रास्ते पर नहीं चलने की नसीहत दी है। दरअसल राहुल गांधी ने जर्मनी में अपने संबोधन के दौरान भारत में मॉब लिंचिंग, नोटबंदी जैसे कई मुद्दों पर अपनी राय रखी थी। उन्होंने भारत सरकार पर दलित और अल्पसंख्यकों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था। इसी बयान के आधार यशवंत सिन्हा ने राहुल को देश के मामलों को विदेश में नहीं उठाने की बात कही है।
पीएम के नक्शेकदम पर नहीं चलने की नसीहत
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कांग्रेस अध्यक्ष और पीएम मोदी का नाम लिए बगैर अपने ट्वीट पर लिखा कि मैं सभी नेताओं से अपील करता हूं कि विदेशों में देश के आंतरिक मुद्दों की चर्चा ना करें। पीएम ने सबसे पहले इस नियम को तोड़ा था, दूसरों को उनके इस उदाहरण को फॉलो नहीं करना चाहिए।
राहुल ने विदेश में उठाए भारत के मुद्दे
बता दें कि 22 अगस्त को राहुल गांधी ने जर्मनी के हैम्बर्ग में छात्रों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने भारत सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि उन्होंने दावा किया कि भारत में भीड़ द्वारा लोगों की पीट-पीटकर हत्या (मॉब लिंचिंग) की घटनाएं बेरोजगारी और केंद्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी द्वारा नोटबंदी और जीएसटी लागू किए जाने उपजे गुस्से का कारण है। राहुल ने आतंकी संगठन आईएसआईएस के बनने का जिक्र करते हुए कहा कि अगर विकास के दायरे से लोगों को बाहर रखा गया तो देश में भी ऐसे हालात पैदा हो सकते हैं।
गरीबों को अनदेखा करती सरकार: राहुल
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि वे (केंद्र सरकार) मानती है कि आदिवासी, गरीबों, किसानों, निचली जाति के लोगों और अल्पसंख्यकों को अमीरों के बराबर हक नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी करके देश के छोटे और मझोले कारोबरियों और लाखों लोगों को बेरोजगार कर दिया।
मोदी को गले लगाने की बताई वजह
लोकसभा में मानसून सत्र के दौरान राहुल का पीएम मोदी से गले लगना बेहद चर्चा में रहा था। राहुल ने कहा कि मैंने उनको गले लगाकर नफरत का जवाब प्यार से दिया है। नफरत फैलाने वाले भाषण और राजनीति करने के सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि भारतीय का मतलब ही अहिंसक है। उन्होंने कहा, 'अगर भारत को इस जोखिम भरे बदलाव से गुज़रना पड़ा, तो हम चाहते थे कि सभी समुदायों और भाषाओं को इस बदलाव में शामिल किया जाए। रोजगार गारंटी योजना, भोजन का अधिकार, सूचना का अधिकार, बैंकों का राष्ट्रीयकरण जैसे विचार काफी हद तक नष्ट हो गए हैं। दलितों, अल्पसंख्यकों और आदिवासियों को अब सरकार से कोई फायदा नहीं मिलता है। उनको फायदा देने वाली सारी योजनाओं का पैसा चंद बड़े कॉर्पोरेट्स के पास जा रहा है।
Published on:
23 Aug 2018 03:56 pm
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