दरअसल यह लड़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रवास को खाली कराने के समय से चली आ रही है। जिसका विरोध तमाम छात्रनेताओं सिंह शिवम् सिंह भी कर रहा था। लेकिन शिवम् पर छात्रावास में दस कमरों में कब्जा करने का आरोप लगा था। बता दें की हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राकेश सिंह को 2018 नवंबर में ताराचंद छात्रावास का अधीक्षक बनाया गया था। डॉ राकेश सिंह के कार्यकाल में ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद हॉस्टलों में अवैध कब्जा हटाने की कार्यवाही शुरू हुई थी। ताराचंद में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के तत्कालीन महामंत्री शिवम सिंह भी रहता था। जिस पर 10 कमरों पर कब्जा करने का आरोप लगा था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से शिवम सिंह को नोटिस जारी किया गया था ।डॉक्टर राकेश सिंह का आरोप है कि शिवम ने इस कार्यवाही को व्यक्तिगत दुश्मनी के तौर पर लिया । कई बार फोन पर जान से मारने की धमकी दी ।जब कुलपति रतनलाल हंगलू ने इस्तीफा दिया ।उसके अगले दिन शिवम सिंह ने फोन पर धमकी दी थी कि हॉस्टल छोड़ दे वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा।
शिवम् का कहना है पूर्व महामंत्री शिवम सिंह ने पत्रिका से फोन पर बात करते हुए कहा की उसके खिलाफ इस तरह की कार्यवाही क्यों की जा रही है उसे नहीं मालूम । कहा कि जो बड़ी धाराओं में मुकदमे दर्ज थे, वह सामूहिक मामले थे ।जिसमें छात्र संघ आंदोलन के दौरान कई छात्र नेता शामिल थे। सब ने उसकी सजा काटी है शिवम सिंह ने बताया उसके खिलाफ 10 मामले दर्ज हैं। जिनमें सभी राजनीतिक मामले हैं। शिव सिंह ने कहा कि मेरा कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। डेढ़ साल से मैं राजनीतिक जीवन में हूं। इसके बाद यह मामले दर्ज किए जा रहे हैं। शिवम सिंह के अनुसार छात्रावास खाली कराए जाते समय सभी छात्रावासों में आंदोलन हुए थे ।जिसके बाद तमाम छात्र नेताओं को जेल जाना पड़ा था। उसी तरह ताराचंद छात्रावास में भी आंदोलन और विरोध हुए थे ।कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं लड़ी गई थी।