
इलाहाबाद हाई कोर्ट
इलाहाबाद. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यमुना एक्सप्रेस वे विकास प्राधिकरण से एक नवम्बर 2017 तक जवाब मांगा है और पूछा है कि क्या अथॉरिटी ने योग गुरू बाबा रामदेव या उनकी कंपनी या सहयोगी को गौतमबुद्ध नगर नोएडा में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोई जमीन फूड पार्क के लिए आंवटित की गयी है या नहीं?
यह आदेश न्यायमूर्ति तरूण अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति अजय भनोट की खण्डपीठ ने औसाफ की याचिका पर दिया है। याचिका में याचियों के पट्टे पर दी गयी जमीन पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड कंपनी के नाम पर आवंटित करने तथा याची द्वारा लगाये गये हजारों पेड़ों को काटने का आरोप लगाया गया है।
कंपनी के नाम 4500 एकड़ जमीन आंवटित किया गया है। इस पर अथॉरिटी का कहना है कि उसने या उनके अधिकारियों ने पेड़ नहीं काटे, और न ही स्थल पर पेड़ थे। जबकि राज्य सरकार का कहना है कि अथॉरिटी के अधिकारियों ने स्थल पर जाकर पेड़ कटवाये। जमीन पर 300 पेड़ लगाये गये थे। कोर्ट ने कहा है कि सरकार या अथॉरिटी कोई भी बताने को तैयार नहीं है कि जेसीबी मशीन से पेड़ों को उखाड़ लिया गया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इससे पहले ही विवादित भूमि पर विकास कार्य करने पर रोक लगा रखी है। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि तक जमीन की नवैयत बदलने या विकास कार्य न करने का निर्देश दिया है।
याची का कहना है कि फूड प्लाजा व उद्योग लगाने के लिए छह हजार पेड़ काट डाले गये हैं, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है। याचीगण को 200 बीघा जमीन वृक्षारोपण के लिए 30 साल के पट्टे पर दी गयी है। इस जमीन के अलावा अन्य जमीन पतंजलि आयुर्वेद को आवंटित की गयी है। ऐसा करना पट्टा शर्ताें का उल्लंघन है। याचिका की सुनवाई एक नवम्बर को होगी।
Published on:
01 Nov 2017 08:04 am
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