कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी और अदालतें वाली न्याय वितरण प्रणाली को व्यक्तिगत स्तर पर तय करने का साधन नहीं बनाया जा सकता है, खासकर जब हमारे देश में कानूनी प्रणाली पहले से ही मामलों के अधिक बोझ से जूझ रही है। इस तरह का दुरुपयोग स्थिति को और अधिक भ्रमित करने वाला है, जो कीमती समय बर्बाद कर रहा है। जांच एजेंसी और अदालतों दोनों को झूठे मामलों से निपटने में और इसके परिणामस्वरूप, वास्तविक मामलों को भुगतना पड़ता है, इसलिए कथित पीड़िता और दस हजार रूपये का जुर्माना लगाया जाता है।
हाईकोर्ट ने किया टिप्पणी मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायालय की टिप्पणियां किए गए सबमिशन पर विचार करने और रिकॉर्ड के अवलोकन पर कोर्ट ने कहा कि अपने आवेदन में महिला ने स्पष्ट रूप से कहा कि सलमान और याचिकाकर्ता के बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं थे और याचिकाकर्ता केवल सलमान से प्यार करती थी। हाईकोर्ट ने इसे देखते हुए नोट किया कि शिकायतकर्ता द्वारा स्वीकार किया गया कि बलात्कार का आरोप लगाने वाली पूरी तरह से झूठी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा भी प्रतीत होता है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट झूठे आरोपों पर केवल याचिकाकर्ताओं पर दबाव बनाने के लिए दर्ज की गई थी ताकि उसकी शादी को अंजाम दिया जा सके। रिट याचिका को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर व्यक्तिगत लाभ के लिए झूठी और आधारहीन प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा दिया।