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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रचा इतिहास, 3 भाषाओं में एक साथ दिया फैसला

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शिवशंकर प्रसाद ने एक ही फैसले को अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत में लिखकर इतिहास रच दिया। जस्टिस प्रसाद ने कुल 42 पेज के फैसले को पहले अंग्रेजी, फिर हिंदी और अंत में संस्कृत भाषा में सुनाया।

Allahabad High Court

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहली बार अंग्रेजी, हिंदी व संस्कृत तीन भाषाओं में एक साथ फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि यदि परिवार अदालत ने धारा 125 सीआरपीसी के तहत अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है तो उस पर अमल होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि धारा 482 की अर्जी पोषणीय नहीं है। याची को धारा 128 में आदेश का अनुपालन कराने का उपचार प्राप्त है। वह हाईकोर्ट में आने के बजाय परिवार अदालत में ही धारा 128की अर्जी दाखिल कर सकती है।

कोर्ट ने खारिज की याचिका

यह आदेश न्यायमूर्ति शिवशंकर प्रसाद ने श्रीमती कंचन रावत की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याची की शादी 1 दिसंबर 2009 को विपक्षी बैजलाल रावत के साथ हुई। शादी में परिवार ने 7-8 लाख रूपये खर्च किए। किंतु दहेज को लेकर याची को ससुराल में प्रताड़ित किया जाता रहा। एक दिन मजबूर होकर उसे घर छोड़कर मायके आना पड़ा जहां पर उसे 26 नवंबर 11 को एक बच्चा गौरव पैदा हुआ। उसने पति से गुजारा भत्ता मांगा। नहीं देने पर परिवार अदालत गाजीपुर में केस दर्ज किया।

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प्रतिमाह गुजारा भत्ता का आदेश

परिवार अदालत ने धारा 125 में अंतरिम गुजारा भत्ता चार हजार रुपए प्रतिमाह देने का पति को आदेश दिया। जिसका भुगतान किया गया। किंतु बकाया 80 हजार रूपए का भुगतान नहीं किया गया। तो अदालत ने दस हजार रुपए प्रतिमाह बकाया जमा करने का आदेश दिया। जिसका पालन न करने पर भुगतान करने का आदेश जारी करने की मांग में हाईकोर्ट में धारा 482 के तहत याचिका दायर की थी। विपक्षी द्वारा याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की गई। कहा याची को धारा 128 मे राहत पाने का अधिकार है।