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जस्टिस सरल श्रीवास्तव की बेंच ने ये आदेश शाइस्ता परवीन उर्फ संगीता व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि याचिकाकर्ता व्यस्क हो चुके हैं, ऐसे में उनके शांतिपूर्ण जीवन में हस्तक्षेप का अधिकार किसी को नहीं है। इस मामले में दंपत्ति ने हाईकोर्ट में प्रतिवादियों द्वारा उनके विवाहित जीवन में हस्तक्षेप न करने और उनके जीवन की स्वतंत्रता और सुरक्षा की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी।
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अपने आदेश में कोर्ट ने एसपी बिजनौर को युगल को पुलिस संरक्षण देने का निर्देश दिया है। इसके अलावा पति को अपनी पत्नी के नाम तीन लाख का फिक्स डिपोजिट कर उसकी रसीद के साथ आठ फरवरी को अगली तारीख पर कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया है।
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उधर याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट को बताया गया है कि वो बालिग हैं और अपनी मर्जी से साथ रह रहे हैं। युवती ने अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन कर शादी की है। इससे परिवार के लोग नाराज हैं और धमकी दे रहे हैं। परिवार से जान का खतरा जताते हुए सुरक्षा दिये जाने की मांग की गई। दोनों की ओर से अपने व्यस्क होने के प्रमाण के रूप में हाई स्कूल की मार्कशीट और आधार कार्ड दिया गया, जिसके अवलोकन के बाद कोर्ट ने उन्हें बालिग पाया।