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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा न्याय केवल अभियुक्त के लिए नहीं बल्कि पीड़ित के साथ भी न्याय होना चाहिए

सामूहिक बलात्कार के आरोपियों की ओर से दायर तीन याचिकाओं को खारिज करते हुए नाराजगी व्यक्त की है। याचिकाओं में उन पर दायर मुकदमे को झांसी जिले से किसी अन्य जिले में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी। जस्टिस अनिल कुमार ओझा की खंडपीठ ने कहा कि यदि किसी मामले को स्थानांतरित किया जाता है तो यह सामूहिक बलात्कार पीड़िता का अपमान होगा।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा न्याय केवल अभियुक्त के लिए नहीं बल्कि पीड़ित के साथ भी न्याय होना चाहिए

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा न्याय केवल अभियुक्त के लिए नहीं बल्कि पीड़ित के साथ भी न्याय होना चाहिए

प्रयागराज: सामूहिक बलात्कार मामले की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि न्याय केवल आरोपियों के लिए नहीं है, पीड़िता के साथ भी न्याय होना चाहिए। मामले में सामूहिक बलात्कार के आरोपियों की ओर से दायर तीन याचिकाओं को खारिज करते हुए नाराजगी व्यक्त की है। याचिकाओं में उन पर दायर मुकदमे को झांसी जिले से किसी अन्य जिले में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी। जस्टिस अनिल कुमार ओझा की खंडपीठ ने कहा कि यदि किसी मामले को स्थानांतरित किया जाता है तो यह सामूहिक बलात्कार पीड़िता का अपमान होगा।

मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट बे कहा कि यदि मामला जिला झांसी से किसी अन्य जिले में स्थानांतरित किया जाता है तो यह पीड़िता, गवाहों, अभियोजन पक्ष और पूरे समाज के लिए असुविधाजनक होगा क्योंकि मामला सामूहिक बलात्कार से संबंधित है। आवेदक विपिन तिवारी और रोहित पर आरोप है कि उन्होंने पीड़िता के साथ दुष्कर्म के दौरान मोबाइल पर वीडियो बना लिया। आवेदक शैलेंद्र नाथ पाठक पर आरोप है कि उसने पीड़ित से 1000 और 2000 रुपये लिये। आरोपियों ने मौजूदा स्थानांतरण याचिका दायर करते हुए कहा कि पीड़िता के पिता झांसी में पेशे से वकील हैं और इसलिए कोई भी अधिवक्ता जिला न्यायालय झांसी में आवेदकों की ओर से पेश होने के लिए तैयार नहीं है।

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उन्होंने यह तर्क दिया गया कि आवेदकों को मुकदमा लड़ने के लिए अपनी पसंद के वकील को नियुक्त करने का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन पीड़ित के पिता के प्रभाव के कारण आवेदकों को उस अवसर से वंचित किया जा रहा है। वहीं, विपक्ष वकील ने स्थानान्तरण आवेदनों का विरोध करते हुए जिला न्यायालय झांसी में विभिन्न अधिवक्ताओं द्वारा आवेदक विपिन तिवारी और शैलेन्द्र नाथ पाठक की ओर से दायर वकालतनामे की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया।