
Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आर्थिक लाभ के लिए एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जताई है। कोर्ट ने निर्देश दिए कि हाशिए पर बैठे समाज के कमजोर लोगों की सुरक्षा के लिए बने एससी-एसटी के दुरुपयोग के मामलों को सरकार गंभीरता से ले। राज्य सरकार निगरानी तंत्र विकसित करे।
जस्टिस मंजू रानी चौहान ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक प्राथमिकी दर्ज करने से पहले घटना व आरोप का सत्यापन किया जाए, ताकि वास्तविक पीडि़त को ही सुरक्षा और मुआवजा मिल सके। झूठी शिकायत कर मुआवजा लेने वालों को धारा 182 व 214 के तहत दंडित किया जाए। कोर्ट ने कहा कि झूठे केस न्याय प्रक्रिया पर संदेह पैदा कर रहे हैं। लोगों का भरोसा खत्म कर रहे हैं। इस पर रोक लगनी चाहिए। कोर्ट ने आदेश की प्रति सभी जिला जजों और डीजीपी को भेजने का आदेश दिया।
कैला देवी थाने की पुलिस ने एससी-एसटी एक्ट के एक मामले में चार्जशीट दाखिल की। सरकार ने पीडि़त को 75 हजार रुपए मुआवजा दिया। बाद में दोनों पक्षों में समझौता हो गया तो केस रद्द करने के लिए याचिका दायर की गई। कोर्ट ने शिकायतकर्ता को मुआवजा लौटाने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया कि संज्ञेय व असंज्ञेय अपराधों को समझौते से समाप्त किया जा सकता है। पक्षकारों के बीच समझौते को कोर्ट ने सही माना और आदेश दिया कि शेष बकाया मुआवजा 25 हजार रुपए का भुगतान न किया जाए। झूठा केस दर्ज कर मुआवजा लेने वाले को दंडित करें।
Updated on:
26 Oct 2025 11:28 am
Published on:
24 Sept 2024 08:56 am
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