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अतीक अहमद: हिस्ट्रीशीट नंबर-39A, 17 साल की उम्र में हत्या में नाम, 103 मुकदमें, 61 की उम्र में कत्ल

Atiq Ahmed Murder: अतीक अहमद और अशरफ की हत्या पर आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने हैरानी जताई है।

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Atiq Ahmed

अतीक अहमद का काफी समय राजनीतिक दबदबा रहा।

अतीक अहमद और अशरफ की शनिवार रात गोली मारकर हत्या कर दी गई। अतीक अहमद 5 बार विधायक और एक बार सांसद रहा था। 61 साल की उम्र में कत्ल किए गए अतीक अहमद का लंबा आपराधिक और राजनीतिक इतिहास रहा।

साल 1962 में अतीक प्रयागराज के चकिया मोहल्ले में पैदा हुआ। स्कूल के बाद ही उसने जुर्म की दुनिया में कदम रखा। 1979 में सिर्फ 17 साल की उम्र में उस पर हत्या का पहला मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद उसने अपनी गैंग बनाई, जिसे IS-227 नाम दिया।


खुल्दाबाद थाने में दर्ज हुआ पहला मुकदमा
1979 में अतीक के खिलाफ मोहम्मद गुलाम हत्याकांड में खुल्दाबाद थाने में दर्ज हुआ। अतीक इस केस में 302 का आरोपी बनाया गया। अतीक इसके बाद तेजी से अपराध की दुनिया में बढ़ा।

अतीक के खिलाफ 1985 में गुंडा और 1986 में गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई हुई। मुकदमों की बढ़ती संख्या के बाद फरवरी, 1992 को अतीक की हिस्ट्रीशीट खोली गई। अतीक का हिस्ट्रीशीट नंबर 39 ए है। उसके गैंग का नंबर आईएस -227 है।

प्रयागराज में अतीक और चांद बाबा के बीच अपराध के साथ-साथ राजनीतिक टकराव भी बढ़ा। साल 1989 में दोनों प्रयागराज पश्चिमी सीट पर आमने-सामने आ गए। अतीक निर्दलीय लड़कर जीता और विधायक बना।

गेस्ट हाउस कांड में आया नाम, मुलायम सिंह से बढ़ी नजदीकी
सपा विधायकों ने लखनऊ में मायावती के साथ बदसलूकी की। ये वो घटना है, जिसे गेस्ट हाउस कांड कहा जाता है। इसमें अतीक का नाम भी सपा के दूसरे कुछ विधायकों के साथ आया।

गोस्ट हाउस कांड में लखनऊ के थाना हजरतगंज में अतीक पर मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद प्रयागराज के धूमनगंज थाने में एक ही दिन में 114 केस अतीक के खिलाफ दर्ज किए गए।

इलाहाबाद पश्चिम से जीतने का सिलसिला जारी रहा
अतीक अहमद पर आपराधिक मुकदमे होते रहे लेकिन उसका इलाहाबाद पश्चिम से जीतने का सिलसिला भी जारी रहा। 1989 से 2002 तक लगातार वो विधायक बनता रहा। 2004 में अतीक फुलपूर से सांसद बन गया और विधायकी से इस्तीफा दे दिया।

अतीक के इस्तीफा देने के बाद इलाहाबाद पश्चिम में उपचुनाव हुआ। जिसमें अतीक ने सपा से अपने भाई अशरफ को लड़ाया, जिसमें वो बसपा के राजूपाल से हार गया। राजूपाल के विधायक बनने के कुछ दिन बाद ही उसकी हत्या हो गई। उपचुनाव में अशरफ ने राजूपाल की पत्नी पूजा पाल को हराकर जीत तो हासिल कर ली लेकिन यहीं से इस परिवार का राजनीतिक उतार शुरू हो गया।

2005 के बाद नहीं जीता कोई चुनाव
अतीक परिवार ने 2005 के बाद कभी कोई चुनाव नहीं जीता। बीते कई साल से अतीक और अशरफ दोनों जेल में थे।

हाल ही में उमेश पाल मर्डर केस में भी अतीक का नाम आया। उमेश पाल के ही अपहरण में उसको उम्रकैद की सजा हो गई थी। इसके बाद पुलिस ने उमेश पाल मर्डर केस में उसकी रिमांड मांगी थी। अतीक पुलिस रिमांड में ही था कि उसकी हत्या हो गई।


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