27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सोमेश्वर महादेव मंदिर को तोड़ने गया था औरंगजेब, सीढ़ियों पर पहुंचते ही दिखा चमत्कार फिर सिर झुकाकर दान कर दी करोडों की जागीर

Someshwar Mahadev temple: औरंगजेब ने ना सिर्फ हिंदू मंदिरों, गुरुद्वारों में तोड़फोड़ और लूट की बल्कि तीर्थयात्रियों पर जजिया कर भी लगाया, लेकिन प्रयागराज में औरंगजेब को अपना सिर झुकाना पड़ा था।

3 min read
Google source verification
Aurangzeb destroy Someshwar Mahadev temple in Allahabad

सोमेश्वर महादेव मंदिर प्रयागराज

Someshwar Mahadev temple: औरंगजेब को दुनिया एक क्रूर और हिंदू विरोधी शासक के रूप में जानती है। उसने देशभर में कई हिंदू मंदिरों को तहस नहस कर दिया और मंदिरों को लूट लिया। लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि ऐसे औरंगजेब ने प्रयाग के सोमतीर्थ में अपने विजय अभियान को कुछ दिनों के लिए विराम दे दिया था। इस मंदिर की सीढ़ियों पर उसके कदम रुक गए थे। उसने भगवान शिव के इस मंदिर में ना सिर्फ सिर झुकाया बल्कि एक बड़ी जागीर मंदिर के रखरखाव के लिए दान में दे दी। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में...

इतिहासकारों ने अपने शोध में किया उल्लेख
मंदिर के बाहर लगे धर्मदंड और फरमान में इसका उल्लेख है। इतिहासकारों ने अपने शोध में इस बात का उजागर किया है। यह मंदिर प्रयागराज में सोमतीर्थ के नाम से प्रसिद्घ है। जिसे अब सोमेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। प्रयागराज में संगम के सामने देवरख क्षेत्र में स्थित है।

यह भी पढ़ें: बनारस में 10 साल का रिकॉर्ड टूटा, 45 मिनट में 20 मिलीमीटर बारिश, आगे क्या होगा?

पद्मपुराण में प्रयागराज के अक्षयवट क्षेत्र के अग्निकोण पर गंगा यमुना की धारा के संगम स्थल के समीप दक्षिणी तट पर सोमतीर्थ का वर्ण है। पौराणिक ग्रंथों में गौतम ऋषि द्वारा दिए गए शाप से कुष्ठ पीड़ित चंद्रदेव द्वारा प्रयाग की धरती पर सोमेश्वर महादेव शिवलिंग की स्थापना करने की चर्चा आती है। 14वां शताब्दी में विघापति ने अपने ग्रंथ भू परिक्रमा में भी सोमतीर्थ का उल्लेख किया है।

हनुमान मंदिर के बाहर धर्मदंड भी दे रहा गवाही
सोमश्वर महादेव मंदिर में हनुमानजी का भी मंदिर है। हनुमानजी के मंदिर के सामने एक धर्मदंड है। पत्थर की शिला के रूप में स्थापित इस धर्मदंड में 15 पंक्तियों में एक लेख उत्कीर्ण है। इस लेख में संवत 1674 के सावन मास में औरंगजेब द्वारा मंदिर को जागीर दिए जाने का उल्लेख है। हालांकि हनुमानजी की प्रतिमा के सामने इस दंड पर प्रतिदिन सिंदूर का लेप होने से अब लेख स्पष्ट नहीं दिखता है।

औरंगजेब जब सोमेश्वर महादेव मंदिर में आया तो सीढ़ियों पर ही उसके पैर रुक गए और उसने मंदिर में कई चमत्कार देखे। चमत्कारों को देखकर पहले उसको कुछ समझ में नहीं आया और उसने अपना सिर झुका लिया। नतमस्तक होकर उसने मंदिर को तोड़ने का फैसला टाल दिया और मंदिर के रखरखाव के लिए दान भी दिया।

यह भी पढ़ें: यूपी के 16 जिलों में आंधी-तूफान के साथ बारिश का अलर्ट, 50-60 की रफ्तार से चलेंगी हवाएं, जानें भविष्यवाणी

मंदिरों और गुरुद्वारों से ली जानकारी
जागीर से जुड़े विवाद के दौरान समिति ने देश के दूसरे मंदिरों और गुरुद्वारों से दस्तावेज मंगाए तो एक नया खुलासा हुआ। इस दौरान उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर, चित्रकूट के बालाजी मंदिर, गुवाहाटी के उमानंद मंदिर, सरंजय के जैन मंदिर के साथ ही दक्षिण भारत के कुछ मंदिरों और गुरुद्वारों से ऐसे फरमान उपलब्ध कराए गए थे। सभी फरमान 1659 ई से 1685ई के बीच जारी किए गए थे। जो मुगल शासक औरंगजेब का शासनकाल है। लेकिन किसी भी फरमान में मंदिरों को जागीर देने की जानकारी नहीं है।

राज्यसभा में प्रस्तुत किए गए थे साक्ष्य
डॉ केसरवानी के मुताबिक 27 जुलाई 1977 को राज्यसभा की कार्रवाई के दौरान तत्कालीन सांसद और बाद में ओडिशा के राज्यपाल रहे विश्वंभर नाथ पांडेय ने सदन को जानकारी दी थी कि उनके प्रयागराज महानगर पालिका चेयरमैन रहने के दौरान सोमेश्वर मंदिर की जागीर से जुड़ा एक विवाद आया था।

यह भी पढ़ें: एक दिन में 22 अंडे देता है यह पक्षी, मुर्गीफार्म से ज्यादा मुनाफा, बड़ी दिलचस्प है इसकी कहानी!

इसमें एक पक्ष की ओर से औरंगजेब द्वारा मंदिर को दी दई जागीर से संबंधित फरमान दिखा गया था। इसकी वैधता परखने के लिए न्यायमूर्ति तेड बहादुर की अध्यक्षता में कमेटी बनी थी। कमेटी ने देश के सभी महत्वपूर्ण मंदिरों से औरंगजेब के वजीफे या जागीर से जुड़े दस्तावेज मंगाए गए थे।