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अब डिजिटल एलईडी नेम प्लेट से होगी लोको पायलट की पहचान, नाम, पद, नंबर और मुख्यालय की मिलेगी जानकारी

वर्तमान समय में प्रयागराज मंडल में कुल पांच हजार लोको पायलट कार्य कर रहे हैं। अगर हम प्रयागराज की बात करें तो कुल साढ़े पांच सौ से अधिक लोको पायलट अपनी सेवा दे रहे हैं। इन संख्या में लगभग सभी ने अब डिजिटल नेलप्लेट का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। लोको पायलट चंदन कुमार ने नेलप्लेट के बारे में बताया कि इस नेमप्लेट की मदद स लोको पायलट टिकट कलेक्टर से अलग हो जाते हैं।

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अब डिजिटल एलईडी नेम प्लेट से होगी लोको पायलट की पहचान, नाम, पद, नंबर और मुख्यालय की मिलेगी जानकारी

अब डिजिटल एलईडी नेम प्लेट से होगी लोको पायलट की पहचान, नाम, पद, नंबर और मुख्यालय की मिलेगी जानकारी

प्रयागराज: प्रयागराज रेलवे मंडल ने अब लोको पायलट की पहचान अलग करने के लिए लोको पायलट ने खुद को हाईटेक किया है। अब उत्तर मध्य रेलवे ने सभी लोको पायलट ने अपने आप को हाईटेक बनाने के लिए डिजिटल एलईडी नेम प्लेट लगाना शुरू कर दिया है। इस नेम प्लेट पर नाम, पद, नंबर और किस मुख्यालय में तैनाती की गई है सभी की जानकारी दर्ज रहती है। पहले लोको पायलट मैनुअल पेंट किए हुए नेमप्लेट का इस्तेमाल किया करते थे, लेकिन अब उनके सीने पर डिजिटल बैच नजर आने लगे हैं। इस आकर्षक बैच का इस्तेमाल प्रयागराज मंडल में शुरू हो गया है। अब इस नेम प्लेट से यात्रियों को लोको पायलट की पहचान करने में आसानी होगी।

भीड़ में अलग पहचान देता है डिजिटल बैच

वर्तमान समय में प्रयागराज मंडल में कुल पांच हजार लोको पायलट कार्य कर रहे हैं। अगर हम प्रयागराज की बात करें तो कुल साढ़े पांच सौ से अधिक लोको पायलट अपनी सेवा दे रहे हैं। इन संख्या में लगभग सभी ने अब डिजिटल नेलप्लेट का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। लोको पायलट चंदन कुमार ने नेलप्लेट के बारे में बताया कि इस नेमप्लेट की मदद स लोको पायलट टिकट कलेक्टर से अलग हो जाते हैं। इसके साथ ही यात्रियों को भी लोको पायलट की पहचान करने में आसानी होती है। इसीलिए लोको पायलट अपने खर्च से इस डिजिटल एलईडी नेलप्लेट का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।

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दिल्ली से बनकर आता है डिजिटल नेमप्लेट

एलईडी नेमप्लेट का इस्तेमाल कर रहे रेलवे के लोको पायलट सुमित रंजन ने जानकारी दी है कि वह दिल्ली से इस नेमप्लेट को ऑडर देकर बनवाया है। अन्य साथी लोको पायलट भी दिल्ली से इस नेमप्लेट को ऑडर देकर बनवाया है। लेकिन अब यह नेमप्लेट प्रयागराज में भी बनने लगा है इसीलिए प्रयागराज के लगभग सभी लोको पायलट अब डिजिटल नेमप्लेट का इस्तेमाल करने लगे हैं। इस डिजिटल नेमप्लेट में लगे दो बैटरी कुल चार महीने तक चलती है।