
मालिक तेरी रजा रहे और तू ही रहे, बाकी न मैं रहूं, न मेरी आरजू रहे, जब तक कि तन में जान, रगों में लहू रहे, तेरा हो जिक्र या, तेरी ही जुस्तजू रहे।
क्रांतिकारी राम प्रसाद विस्मिल ने ये लाइनें फांसी के ऐन पहले बोली थीं। उन पर काकोरी में ट्रेन रोककर अंग्रेजी हुकूमत के पैसे और हथियार लूटने का अरोप था। उनके साथ कुल 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। उनमें से 4 को फांसी और 1 को काला पानी की सजा हुई थी।
हम उस पूरी घटना एक-एक पन्ने पलटेंगे। लेकिन उससे पहले एक बार काकोरी चलते हैं...
वीरान पड़ा रहता है काकोरी शहीद स्मृति उद्यान
लखनऊ से लखनऊ-हरदोई हाईवे पर करीब 11 किलोमीटर आगे काकोरी शहीद स्मृति उद्यान है। गेट पर टिकट खिड़ती तो है, लेकिन कोई टिकट काटने वाला वहां नहीं है। पूछने पर पता चलता है कि यह टूरिस्ट प्लेस नहीं बन पाया। यहां ज्यादा लोग नहीं आते।
गेट पर मायावती, मुलायम सिंह यादव और योगी आदित्यनाथ के नाम वाले शिलालेख हैं। दरअसल, इसका शिलान्यास 21 मई 2003 को तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और यूपी की मुख्यमंत्री मायावती ने किया था। लेकिन लोकार्पण 23 अगस्त 2004 को तब के यूपी सीएम मुलायम सिंह यादव ने किया।
ज्यादातर बुझी रहती है काकोरी शहीदों की याद में बनी अमर शहीद ज्योति
अंदर जाते ही मीनार बनी है। उसी के ठीक नीचे अमर शहीद ज्योति है, लेकिन जब तक यहां कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं होता, तब तक बुझी ही रहती है। इस शहीदों की याद से जुड़े उद्यान को संभालने के लिए एक सहायक का कमरा भी है। लेकिन वो भी महीनों तक बंद रहता है।
काकोरी शहीद उद्यान में बिजनेस मीटिंग करने आते हैं नौजवान
उद्यान में अक्सर आने-जाने वाले बृजेश कहते हैं, “इस पार्क में बहुत कम लोग आते हैं। इसलिए यहां शांति रहती है। हम लोग अपना एक एनजीओ चलाते हैं। हमें जब मीटिंग करनी होती है तो हम यही आ जाते हैं।”
इस उद्यान के अलावा अलग से बना है काकोरी शहीद स्मारककाकोरी शहीद उद्यान से करीब 4 किलोमीटर अगे की ओर बाजनगर नाम का कस्बाई इलाका है। वहीं पर काकोरी शहीद स्मारक है। गेट के ठीक पास में एक शिलालेख है। इस पर 200 शब्दों में काकोरी केस की जानकारी लिखी है। हालांकि इसमें लिखी बात और तब की एफआईआर की कॉपी में लिखी बातों में अंतर है।
जैसे इस शिलालेख में लिखा है कि करीब 8,000 रुपए लूटे गए थे। मामले में कुल 50 लोगों की गिरफ्तारियां हुई थीं। हालांकि इतिहास की किताबों और इस मामले में तब दर्ज हुई FIR की कॉपी के मुताबिक 4,601 रुपए 15 आना और छह पाई की लूट हुई थी। 10 लोग काकोरी ट्रेन एक्शन में शामिल थे, 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
काकोरी शहीद मंदिर में दिखता है क्रांतिकारियों का शौर्य
इस स्मारक में काकोरी शहीद मंदिर है। इसमें 15 क्रांतिकारियों की पेंटिंग नाम और सजा के साल के साथ लगी हैं। पांच प्रतिमाएं हैं। चार जिन्हें काकोरी मामले में फांसी हुई थी और एक चंद्रशेखर आजाद की। मंदिर के दूसरे हिस्से में काकोरी संग्रहालय है। इस पर ताला लटका है। मंदिर की देखरेख करने वाले राजकुमार मिश्रा कहते हैं, “संग्रहालय में सिर्फ 9 अगस्त और 19 दिसंबर को खोलते हैं।”
जिस टीले पर हुई थी प्लानिंग, वो आज भी हैकाकोरी शहीद मंदिर के सामने 3 फीट ऊंचा और 7 फीट चौड़ा मिट्टी का टीला है। टिन की 2 फीट की पटरी पर लिखा है, ‘कंकरहा बाबा’ यानी वो जगह जहां काकोरी कांड के वक्त क्रांतिकारियों ने मीटिंग की थी।
टीले पर झाड़ू लगा रहे मुन्नीलाल राजपूत लोधी कहते हैं, “मेरी छह पीढ़ियां इस टीले की सेवा कर रही हैं। ये बाजनगर का देव-स्थान है। काकोरी तो यहां बाद में हुआ। तब मेरे पापा यहां सेवा करने आते थे। वो बताते थे कि उस रोज कहा गया था कि यहां बारात आने वाली है।”
काकोरी रेलवे स्टेशन पर क्रांतिकारियों से जुड़ा कुछ भी नहीं
काकोरी शहीद स्मारक से 2 किलोमीटर दूर काकोरी स्टेशन है। वहां पर सीनियर अधिकारी कहते हैं, “हम एक शब्द कुछ नहीं बोलेंगे। आप जाइए मेरठ से परमिशन लेकर आइए।”
स्टेशन पर ही पान की गुमटी है। वहां पर जमा हुए लोग कहते हैं, "किताब में जो पढ़ा है, उतना ही पता है। यहां पर तो कुछ ऐसा नहीं है जिसे देखकर उस समय की बातों को जाना जा सके।"
ये थी काकोरी की मौजूदा हालत। अब आइए उस घटना के बारे में बताते हैं, अग्रेजों की मांद हाथ डालकर उनके हथियार और पैसे निकाल लिए थे।
रश्मि कुमारी अपनी किताब काकोरी से पहले, काकोरी के बाद में लिखती हैं- 9 अगस्त 1925 की सुबह अशफाक, शचीन्द्रनाथ और राजेंद्र लाहिड़ी आठ डाउन पैसेंजर गाड़ी के दूसरे दर्जे के डिब्बे में चढ़े। उन्हें तय जगह पर जंजीर खींचकर ट्रेन रोकनी थी। इसके अलावा 7 लोग रामप्रसाद बिस्मिल, केशव चक्रवर्ती, मुरारी लाल, मुकुन्दी लाल, बनवारी लाल, मन्मथ नाथ गुप्त और आजाद इसी ट्रेन की
Updated on:
15 Aug 2023 10:57 am
Published on:
15 Aug 2023 10:49 am
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