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महाकुंभ में करोड़ो लोग और लाखों गाड़ियां, फिर भी वायु प्रदूषण कंट्रोल में ! जानिए कैसे हुआ यह संभव ?

Mahakumbh Pollution Control: महाकुंभ 2025 में करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ के बावजूद प्रयागराज की वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जो प्रशासन की बेहतरीन योजना और पर्यावरणीय प्रयासों के सफल क्रियान्वयन का उदाहरण है।

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Mahakumbh

Pollution in Mahakumbh 2025: 13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ मेले का बुधवार 26 फरवरी को आखिर दिन है। इस दौरान करोड़ों श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में डुबकी लगाई, लाखों की संख्या में चार पहिया वाहन भी महाकुंभ क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुके हैं लेकिन हैरानी की बात यह रही कि इतनी बड़ी भीड़ के बावजूद प्रयागराज की हवा प्रदूषण मुक्त बनी रही। जहां देश के अन्य बड़े शहरों में AQI बेहद खराब श्रेणी में था, वहीं महाकुंभ में प्रयागराज की वायु गुणवत्ता अपेक्षाकृत बेहतर रही। आइए जानते हैं स्नान पर्वों पर श्रद्धालुओं की संख्या, प्रदूषण के आंकड़े और प्रशासन द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में।

29 जनवरी: सबसे बड़ा स्नान, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण में

इस महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन 10 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। यह महाकुंभ का सबसे भीड़भाड़ वाला दिन रहा, लेकिन इसके बावजूद वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 'मध्यम' स्तर पर बना रहा।

एयर क्वालिटी इंडेक्स 100 के अंदर अच्छा माना जाता है और 100 से 150 के बीच मॉडरेट। इस तरह महाकुंभ में केवल मौनी अमावस्या की हवा की गुणवत्ता थोड़ी सी मॉडरेट थी।

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वायु प्रदूषण में इस नियंत्रण के लिए पहल

महाकुंभ में बेहतर प्रदूषण प्रबंधन, देश के लिए मॉडल

महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन के बावजूद प्रयागराज का वायु प्रदूषण नियंत्रित रखना प्रशासन के लिए बड़ी उपलब्धि रही। प्रयागराज में यह सफलता दर्शाती है कि यदि सही योजना, संसाधनों का उचित उपयोग और जनभागीदारी हो तो बड़े आयोजनों के दौरान भी पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है। यह मॉडल अन्य महानगरों के लिए भी एक सीख हो सकता है कि कैसे बढ़ती भीड़ और औद्योगीकरण के बावजूद स्वच्छ वायु सुनिश्चित की जाए।