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हिन्दू-मुस्लिम एकता का मिशाल पेश कर रहे हैं निसार अहमद, रामकथा पात्रों के लिए बनाते हैं मुखौटा

वर्षो पुरानी प्रयागराज की पथरचट्टी रामलीला सबसे भव्य और आकर्षक होती है, ये प्राचीन होने के साथ ही ऐतिहासिक भी है। निसार इसी रामलीला समिति के साथ 40 सालों से काम करते आ रहे हैं। वो प्रभु राम की सेवा में अंतिम सांस तक लगे रहना चाहते हैं। भाईचारे में यकीन रखने वाले निसार अहमद जैसे लोगों से समाज को प्रेरणा लेनी चाहिए।

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हिन्दू-मुस्लिम एकता का मिशाल पेश कर रहे हैं निसार अहमद, रामकथा पात्रों के लिए बनाते हैं मुखौटा

हिन्दू-मुस्लिम एकता का मिशाल पेश कर रहे हैं निसार अहमद, रामकथा पात्रों के लिए बनाते हैं मुखौटा

प्रयागराज: संगमनगरी में रामलीला का मंचन का शुरू हो गया है। जिले के सबसे प्राचीन रामकथा पथरचट्टी रामलीला का अनोखा इतिहास है। यहां पर जाति और मजहब के नाम पर फूट डालने वाली कोशिशों को दरकिनार करते हुए निरन्तर गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बनी हुई है। मोहर्रम में ताजिये बनाने वाले निसार इन दिनों रामकथा के पात्रों का साज-सज्जा का सामान और मुखौटा बनाने में जुटे हुए हैं।

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40 सालों से कर रहा हूँ काम

वर्षो पुरानी प्रयागराज की पथरचट्टी रामलीला सबसे भव्य और आकर्षक होती है, ये प्राचीन होने के साथ ही ऐतिहासिक भी है। निसार इसी रामलीला समिति के साथ 40 सालों से काम करते आ रहे हैं। वो प्रभु राम की सेवा में अंतिम सांस तक लगे रहना चाहते हैं। भाईचारे में यकीन रखने वाले निसार अहमद जैसे लोगों से समाज को प्रेरणा लेनी चाहिए।

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हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई

रामकथा पात्रों के मुखौटा आर्टिस्ट निसार अहमद ने कहा कि भारत देश में हिन्दू-मुस्लिम भाई- भाई हैं। मुस्लिम होने के बावजूद पिछले 40 सालों से रामलीला में काम करने वाले किरदारों का मुखौटा कलर करने का काम कर रहा हूँ। रामलीला पात्रों के साथ काम करने में अपनापन सा महसूस होता है। अब पूरी जिंदगी राम के ही सेवा में समर्पित करना चाहता हूं।

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