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485 बीघा जमीन पर भूमाफियाओं का कब्जा, कार्रवाई में ढिलाई पर DM ने एसडीएम की दी अंतिम चेतावनी

प्रयागराज के डीएम रविंद्र कुमार मांदड़ इन दिनों एक्शन में हैं। जनता की समस्याओं के निस्तारण के लिए उन्होंने सख्त निर्देश जारी किया है। एक मामले में डीएम ने एसडीएम सोराव को एक सप्ताह का समय देते हुए बड़ी चेतावनी दी।

Prayagraj: प्रयागराज के सोरांव तहसील के सिंघापुर, मकदूमपुर और नवाबगंज कछार गांवों में 265 किसानों की लगभग 485 बीघा जमीन फर्जी तरीके से भूमाफियाओं के नाम दर्ज किए जाने के मामले में अब तक प्रभावी कार्रवाई न होने पर जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांडड़ सख्त हो गए हैं। बुधवार को उन्होंने एसडीएम सोरांव एचएल सैनी को अंतिम चेतावनी पत्र जारी करते हुए साफ कहा कि यदि एक सप्ताह के भीतर ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो उन्हें तहसील से हटाने के साथ कठोर विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

तीन बार दिए जा चुके हैं निर्देश, फिर भी नहीं हुई कार्रवाई

जिला प्रशासन इस संवेदनशील मामले में पहले ही गंभीर है। खुद जिलाधिकारी तीन बार एसडीएम को स्पष्ट निर्देश दे चुके हैं कि जिन लोगों ने फर्जी तरीके से किसानों की जमीन पर नाम दर्ज करवाए हैं, उनके नाम हटाकर वास्तविक किसानों के नाम बहाल किए जाएं। बावजूद इसके अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हो सकी।

डीएम कार्यालय पहुंचे किसान, फूटा गुस्सा

बुधवार को बड़ी संख्या में पीड़ित किसान डीएम कार्यालय पहुंचे। किसान नेताओं ने तहसील प्रशासन की लापरवाही को उजागर करते हुए बताया कि महीनों से मामला लटका हुआ है और भूमाफिया खुलेआम घूम रहे हैं। किसानों ने न्याय की गुहार लगाई और अपनी जमीन वापस दिलाने की मांग की।

डीएम ने जताई सख्त नाराज़गी

किसानों की पीड़ा सुनने के बाद डीएम ने गहरी नाराज़गी व्यक्त करते हुए कहा कि यह आखिरी मौका है। यदि एक सप्ताह में प्रभावित किसानों को न्याय नहीं मिला और उनके नाम जमीन पर दर्ज नहीं किए गए, तो एसडीएम को जवाबदेह ठहराया जाएगा।

एसडीएम की दलील पर डीएम ने दिया जवाब

एसडीएम ने कार्यवाही में देरी के पीछे पेशकार (कर्मचारी) की कमी का हवाला दिया। इस पर डीएम ने तत्परता दिखाते हुए एडीएम सिटी सत्यम मिश्र को निर्देश दिया कि तत्काल प्रभाव से पेशकार की नियुक्ति सुनिश्चित कराई जाए, ताकि कार्यवाही में कोई और बाधा न रहे।


किसानों की जमीन पर कब्जे जैसा गंभीर मामला अब प्रशासनिक स्तर पर निर्णायक मोड़ पर है। यदि इस बार भी लापरवाही बरती गई, तो जिम्मेदार अधिकारियों को इसका भारी खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है।