
कुलदीप सिंह सेंगर
इलाहाबाद. उन्नाव रेप केस में सीबीआई अभी तक की जांच प्रगति रिपोर्ट कल हाईकोर्ट में प्रस्तुत करेगी। रिपोर्ट चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खण्डपीठ के समक्ष सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत किया जाना है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर जनहित में इस समूचे घटना की सीबीआई से जांच का आदेश दिया था।
मालूम हो कि उन्नाव दुष्कर्म काण्ड मामले में आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर व अन्य की तत्काल गिरफ्तार करने का इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था। कोर्ट ने अपहरण व सामूहिक दुष्कर्म मामले में पुलिस चार्जशीट के बावजूद सीबीआई को नये सिरे से विवेचना करने को कहा था। कोर्ट ने विधायक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी सहित पीड़िता के पिता की हत्या मामले की भी कानून के तहत तय समय सीमा में विवेचना पूरी करने का सीबीआई को निर्देश दिया था और कहा था कि निष्पक्ष विवेचना के लिए जरूरी हो तो जमानत पर रिहा आरोपी की जमानत निरस्त करने की कार्यवाही भी की जाए।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोसले तथा न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खण्डपीठ ने उन्नाव दुष्कर्म व हत्या मामले को लेकर कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया। कोर्ट ने कहा कि 11 जून से 20 जून 17 तक कक्षा छह की सत्रह वर्षीय छात्रा के साथ अवधेश तिवारी, शुभम व बृजेश यादव ने सामूहिक दुष्कर्म किया और वे जमानत पर रिहा हो गये। लड़की ने 17 अगस्त को मुख्यमंत्री से विधायक, उनके भाई व अन्य पर सामूहिक दुष्कर्म की शिकायत की। चार जून 17 की इस घटना पर मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश के बावजूद सीओ ने पीड़िता की शिकायत नहीं सुनी और डाक्टर ने उसकी जांच नहीं की।
वह नौ महीने तक न्याय के लिए भटकती रही। पिता की मौत के बाद एसआईटी ने प्राथमिकी 12 अप्रैल 18 को दर्ज की। कोर्ट ने कहा कि यदि फरियाद सुनी गयी होती और विधायक के दबाव में पुलिस कानून की अनदेखी न करती तो पीड़िता के पिता की दुर्भाग्यपूर्ण मौत न हुई होती। जब पुलिस ने फरियाद नहीं सुनी तो पीड़िता ने अदालत की शरण ली। अदालत ने पुलिस रिपोर्ट भी मांगी और सब कुछ घटने के बाद 12 अप्रैल 18 को रिपोर्ट दर्ज की गयी।
By Court Correspondence
Published on:
01 May 2018 10:29 pm
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