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हंगामा हुआ तब जाकर हुआ ऑपरेशन, जारी है मेकाहारा की मनमानी

इसके बाद भी नसबंदी में लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है। इस बार यह लापरवाही नसबंदी करने में लेटलतीफी को लेकर की गई।

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नसबंदी में की गई लापरवाही

नसबंदी में की गई लापरवाही को लेकर मामला पूरे प्रदेश में छाया रहा।

रायगढ़. नसबंदी में की गई लापरवाही को लेकर मामला पूरे प्रदेश में छाया रहा। इसके बाद भी नसबंदी में लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है। इस बार यह लापरवाही नसबंदी करने में लेटलतीफी को लेकर की गई। इस बात को लेकर महिलाओं के साथ परिजनों ने मेकाहारा अस्पताल में खूब हंगामा किया। इसके बाद नसबंदी का आपरेशन शुरू किया जा सका।

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इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार बरमकेला ब्लाक के अलग-अलग गांव से मंगलवार को 18 महिलाएं नसबंदी कराने के लिए मेडिकल कालेज अस्पताल आई हुई थी। इस दौरान मंगलवार को कार्तिक एकादशी होने के कारण अस्पताल में छुट्टी थी।

इसके बाद जैसे-तैसे इनको मंगलवार को एडमिट किया गया और इनको अश्वासन दिया गया कि बुधवार को इनका आपरेशन किया जाएगा। इसके बाद सभी महिलाओं का बुधवार को ब्लड और यूरिन की जांच करना था। जिसमें अस्पताल के डाक्टरों द्वारा लापरवाही करते हुए काफी देर कर दिया गया।

जिससे नाराज महिलाओं द्वारा अस्पताल में काफी हो-हंगामा किया गया। इस दौरान अस्पताल में मरीज के परिजन और डाक्टरों के बीच तनाव की स्थिति हो गई थी। वहीं मरीज के परिजनों ने बताया कि डाक्टरों ने यह भी कह दिया कि आज अपरेशन नहीं होगा, जो करना है कर लो। इसके बाद किसी तरह मामला शांत हुआ और शाम 4 बजे आपरेशन शुरू हुआ जिसमें 4 महिलाएं आपरेशन के लिए अनफीट पाई गई। जिसे डाक्टरों ने उन्हें बगैर आपरेशन के ही वापस घर भेज दिया।


ब्लड-यूरिन जांच में की गई कोताही- अस्पताल में भर्ती महिलाओं के ब्लड-यूरिन जांच में काफी देर हो गई। जो जांच सुबह हो जाना चाहिए था वह जांच बुधवार की दोपहर के बाद हुआ। इस कारण आपरेशन में काफी देर हो गई। देर होने के कारण मरीज पूरे दिन भूख से तड़पते रहे, लेकिन इन पर अधिकारी-कर्मचारियों की लापरवाही का खामियाजा इनको भुगतना पड़ा।


18 मरीजों में से 14 का ही हो सकी नसबंदी- नसबंदी कराने आए 18 महिलाओं में से 14 का ही नसबंदी हो सकी। शेष चार महिलाओं को दूसरे दिन वापस भेज दिया गया। इससे नाराज परिजनों का कहना था कि अगर आपरेशन नहीं करना था। दो दिन तक भूखे रखने के बाद क्यों वापस किया गया। क्यों नहीं पहले ही इनकी जांच कर लिया गया। अगर मंगलवार को ही जांच हो गया होता तो भूखे- प्यासे नहीं रहना पड़ता।

यहां डाक्टरों की मनमानी चलती है। पहले तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा नसबंदी के लिए बुलाया जाता है और आने के बाद इनकी लापरवाही का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है।