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कामकाजी महिलाओं के लिए नहीं बन सका हॉस्टल, बजट में शामिल कर निगम ने भुलाया प्रस्ताव

- बजट के तीन माह बाद भी इसकी प्रक्रिया शुरू नहीं की गई

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कामकाजी महिलाओं के लिए नहीं बन सका हॉस्टल, बजट में शामिल कर निगम ने भुलाया प्रस्ताव

कामकाजी महिलाओं के लिए नहीं बन सका हॉस्टल, बजट में शामिल कर निगम ने भुलाया प्रस्ताव

रायगढ़. शहर की कामकाजी महिलाओं के लिए नगर निगम ने हास्टल बनाए जाने का सपना तो दिखा दिया, लेकिन यह सपना हकीकत में सामने नहीं आ रहा है। पिछले पांच साल की तरह इस साल भी निगम ने कामकाजी महिलाओं के लिए हास्टल बनाए जाने का प्रस्ताव बजट में शामिल किया था, लेकिन बजट के तीन माह बाद भी इसकी प्रक्रिया शुरू नहीं की गई। ऐसे में यह माना जा रहा है कि निगम बजट में तो प्रस्ताव शामिल कर दी, लेकिन अब अन्य सालों की इस तरह साल भी इसे भुला दिया जाएगा।

जिले को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जिला घोषित किया गया है। यह घोषणा करीब दो साल पहले हुई थी। इसके करीब तीन साल पहले ही नगर निगम ने बेटियों के लिए प्रस्ताव बनाया था। यह प्रस्ताव उन कामकाजी बेटियों के लिए था, जो बाहर ग्रामीण क्षेत्रों से आकर शहर के किसी सरकारी या गैर सरकारी संस्थान में कार्य करती है। ऐसे कामकाजी बेटियों के लिए हास्टल तैयार करने की योजना बनाई गई थी। ताकि इन कामकाजी महिलाएं एक ऐसी जगह उपलब्ध कराया जा सके, जहां वे रोजमर्रा के संसाधन के साथ सुरक्षित निवास कर सके।

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यह प्रस्ताव पिछले करीब पांच सालों से बजट में शामिल किया जा रहा है, लेकिन हर बार इसे बजट के प्रस्ताव में शामिल करने के बाद भुला दिया जाता है। इस बार जब बजट में इस प्रस्ताव को शामिल किया गया था, तो यह कहा गया था कि इस समय इस प्रस्ताव को मूर्तरूप दिया जाएगा, लेकिन पिछले पांच साल की तरह इस साल भी इस प्रस्ताव को अब तक रद्दी की टोकरी में ही डाला गया है।

स्थिति यह है कि बजट के करीब तीन माह बाद भी अब इस दिशा में किसी प्रकार का कार्य नहीं किया गया है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि नगर निगम यदि इस प्रस्ताव को लेकर गंभीर होती तो अब तक कामकाजी बेटियों के लिए प्रस्तावित हास्टल के लिए जमीन की तलाश करने के साथ ड्राइंग डिजाइन भी तैयार कर ली होती, लेकिन अब तक ऐसा नहीं किया गया है। ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि हर साल की तरह इस साल भी कामकाजी बेटियों का हास्टल मूर्तरूप नहीं ले सकेगा।

लगातार मिल रहा फंड
नगर निगम हर विकास कार्यों के लिए फंड का रोना रोते रहती है। पिछला दो साल इस रोना में बीता भी है, लेकिन दो साल के बाद से लगातार निगम में विकास कार्यों के लिए राशि मिल रही है। पिछले साल एक बार 10 करोड़ रुपए राज्य शासन की ओर से मिल थे तो उसके बाद 20 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई थी। इस राशि को निगम सड़क व नाली निर्माण में खर्च करने के लिए प्रस्ताव बनाया।

हर बार मिलती है निराशा
खास बात यह है कि कामकाजी महिलाओं के लिए हास्टल बनाने का प्रस्ताव पूर्व महापौर महेंद्र चौहथा के कार्यकाल में लाया गया था। इसके बाद से हर साल इस प्रस्ताव को लाया जा रहा है। इस तरह करीब चार साल से लगातार इस प्रस्ताव को लाया जा रहा है। प्रस्ताव लाए जाने के बाद बजट भाषण के समय मेज थपथपा कर प्रस्ताव को स्वीकृति तो दे दी जाती है, लेकिन इसके बाद प्रस्ताव में किसी प्रकार से कार्रवाई नहीं होती। इसकी वजह से यह प्रस्ताव अभी तक बजट के एजेंडे से बाहर नहीं निकल सका।

इस प्रस्ताव की दिशा में कितना कार्य हुआ है। इस बात की जानकारी मुझे नहीं है। अधिकारियों से जानकारी लेने के बाद इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा- मधुबाई, महापौर