
बिच्छू ने मारा डंक तो पहले गए ओझा के पास, फिर झोलाछाप डॉक्टर से लगवाया इंजेक्शन, फिर जो हुआ पढि़ए खबर...
रायगढ़. दोस्तों के साथ तालाब घूमने गए एक नाबालिग को बिच्छू ने डंक मार दिया। जिसका उपचार के दौरान मौत हो गई है। घटना खरसिया थाना क्षेत्र की है। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार खरसिया क्षेत्र के ग्राम राजीवनगर ठुसेकेला निवासी मुकेश सिदार 10 वर्ष पिता लगन साय सिदार बुधवार को दोपहर को अपने दोस्तों के साथ तालाब की तरफ घूमने गया हुआ था। इस दौरान मुकेश ने एक पेड़ पर हाथ रखकर खड़ा था। इसी दौरान एक बिच्छू ने उसे डंक मार दिया। जिसके बाद मुकेश रोते हुए अपने घर पहुंचा।
इसके बाद मुकेश आपबीती अपने परिजनों को बताया जिस पर परिजनों ने एक बैगा से पहले झाड़-फूंक कराया, जब उसकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो वहीं गांव में घूम रहे बोतल्दा के झोलाछाप डाक्टर मोटू से परिजनों ने मुकेश को इंजेक्शन लगवाया। जिसके कुछ ही देर बाद मुकेश के मुंह से झाग निकलने लगा।
इसके बाद मोटू डाक्टर ने परिजनों को कहा कि इसे अस्पताल ले जाओ, जिस पर परिजनों ने दोपहर करीब 02 बजे के आसपास मुकेश को खरसिया अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन वहां उसकी स्थिति गंभीर होते देख डाक्टरों ने उसे रायगढ़ मेडिकल कालेज अस्पताल रिफर कर दिया। परिजनों ने मुकेश को मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती कराया जहां इलाज के दौरान उसकी रात करीब १२ बजे मौत हो गई। अस्पताल से भेजी गई तहरीर पर पुलिस ने मर्ग कायम कर शव को पीएम के बाद उसके परिजनों को सौंप दिया है।
क्या कहते हैं परिजन
इस संबंध में परिजनों से बात किया तो उन्होंने बताया कि पहले झोला छाप डाक्टर से इंजेक्शन लगवाने के बाद मुकेश के मुंह से झाग आने लगा। इसके बाद अस्पताल गया, जहां रायगढ़ रिफर होने के बाद बुधवार को ४ बजे से केजुअल्टी में भर्ती कराया गया था, लेकिन यहां सीनियर डाक्टर एक भी नहीं थे। सारे मेडिकल कालेज के नौसिखिये डाक्टर इलाज कर रहे थे। सिर्फ रात में कई बार बोला गया कि किसी सीनियर डाक्टर को बुला दो लेकिन यहां कार्यरत कर्मचारियों ने यह कहकर टाल दिया कि वो भी आएंगे तो यही करेंगे जो हो रहा है। इस बीच रात में अचानक तबीयत बिगडी और मौत हो गई।
जूनियर डाक्टर के भरोसे केजुअल्टी
मेडिकल कालेज अस्पताल में रात के समय सीनियर डाक्टरों की ड्यूटी नहीं लगाई जाती है। वहीं मेडिकल कालेज के जूनियर डाक्टर ही ड्यूटी करते हैं। इस कारण आए दिन किसी न किसी मरीज की मौत हो जाती है। ऐसे में यहां की व्यवस्था पर अब सवाल उठने लगा है। इस संंबंध में परिजनों का कहना था कि अगर सीनियर डाक्टर होते तो शायद बच्चे की जान बच सकती थी।
Published on:
26 Jul 2018 05:34 pm
बड़ी खबरें
View Allरायगढ़
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
