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बंदरों के उत्पात से लोगों को मुक्ति दिलाने की जाएगी बंदरों की नसबंदी, प्रशिक्षण लेकर लौटी डॉक्टरों की टीम

रायगढ़ में भी बंदरों की संख्या बीते तीन सालों चार गुना पहुंच गई है। इससे हिमाचल की तर्ज पर ही यहां भी मंकी स्टरलाईजेशन प्रोग्राम चलाया जाएगा, जिसकी तैयारी पूरी हो चुकी है।

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बंदरों के उत्पात से लोगों को मुक्ति दिलाने की जाएगी बंदरों की नसबंदी, प्रशिक्षण लेकर लौटी डॉक्टरों की टीम

बंदरों के उत्पात से लोगों को मुक्ति दिलाने की जाएगी बंदरों की नसबंदी, प्रशिक्षण लेकर लौटी डॉक्टरों की टीम

रायगढ़. बंदरों की बढ़ती संख्या और उनके आतंक से छुटकारा पाने के लिए छत्तीसगढ़ शासन भी चिंतित है। इस उत्पात से मुक्ति पाने वन विभाग हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर यहां भी बंदरों की नसबंदी शुरू करने वाला है। इसके लिए रायगढ़ के इंदिरा विहार में मंकी स्टरलाइजेशन बनाया गया है। बंदरों की नसबंदी करने के लिए टीम भी प्रशिक्षण लेकर हिमाचल से आ चुकी है।

विभाग ने इस सेंटर को शुरू करने के लिए शासन को सेंटर ऑपरेटिंग प्रोसीजर रिपोर्ट (एसओपी) भेजी है। इसके पास होते ही सेंटर में लेप्रोस्कोपिक मशीन आ जाएगी और उसके बाद बंदरों की नसबंदी का काम शुरू हो जाएगा। बंदरों को पकडऩे काम वनकर्मी सहित एक एनजीओ के सदस्य करेंगे इसके लिए उन्हें विशेष ट्रेनिंग दी जा चुकी है।

वन मंडल के अफसरों ने शासन से प्रस्ताव आते ही शहर स्थित इंदिरा विहार में स्टेरलाइजेशन सेंटर को बना भी डाला है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से अधूरे स्टरलाइजेशन सेंटर का लोकापर्ण भी करा दिया गया है, लेकिन इसके शुरू होने में अभी मशीनरी और एसओपी का रोड़ा है। यह दोनों मापदंड पूरा होते ही इसे शुरू कर दिया जाएगा। फिलहाल आचार संहिता के चलते इसका पूरा काम ठप पड़ा है। इतना ही नहीं वन विभाग के कर्मचारी इस बात को लेकर भी चिंतित है कि वह बंदर पकड़ेंगे कैसे।

इस सब के बारे में जानकारी देते हुए वेटनरी असिस्टेंट सर्जन डॉ. दिनेश पटेल ने बताया कि यह प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर रायगढ़ में शुरू किया जा रहा है। बंदरों का आतंक बढऩे के बाद हिमाचल प्रदेश में मंकी स्टरलाइजेशन प्रोग्राम चलाया जा रहा है। यहां बंदरों की नसबंदी कर बढ़ती संख्या पर नियंत्रण लगाया जा रहा है। रायगढ़ में भी बंदरों की संख्या बीते तीन सालों चार गुना पहुंच गई है। इससे हिमाचल की तर्ज पर ही यहां भी मंकी स्टरलाईजेशन प्रोग्राम चलाया जाएगा, जिसकी तैयारी पूरी हो चुकी है।

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बंदरों के लिए ओटी और आईसीयू तैयार
स्टरलाइजेशन सेंटर में बंदरों के ऑपरेशन के लिए ओटी और आईसीयू बनकर तैयार हो चुका है। ऑपरेशन के बाद बंदरों को आईसीयू में रखा जाएगा। ऑपरेशन के बाद उन्हें 12 घंटे तक अब्जर्वेशन में रखा जाएगा और उसके बाद उन्हें अगल-अलग स्थानों में छोड़ा जाएगा।

हिमाचल में इसी योजना से मिली राहत
हिमाचल प्रदेश में बंदरों का आतंक इतना बढ़ गया था कि वहां किसानों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो रही थी। अकेले शिमला में ही तीन लाख से अधिक बंदर थे, जिससे लोग खासे परेशान थे। इस योजना से बंदरों की नसबंदी की गई और अब उनकी संख्या में कमी आई है। वहां अब तक ३५००० से अधिक बंदरों के ऑपरेशन हो चुके हैं।

हिमाचल से प्रशिक्षण लेकर लौटी टीम
शासन की ओर से बंदरों को पकडऩे और उनकी नसबंदी करने तक की प्रक्रिया की सीखने के लिए रायगढ़ से एक टीम गई थी। इसमें तत्कालीन डीएफओ विजया कुर्रे सहित वेटनरी असिस्टेंट सर्जन डॉ. दिनेश पटेल, डॉ. सनत नायक सहित वन कर्मी और एनजीओ के सदस्य शामिल थे। यह सभी प्रशिक्षण लेकर लौट भी आ चुके हैं। वहां इन्हें बताया गया किस तरह बंदर को पकड़कर सेंटर तक लाना है, उसके बाद उसे एक दिन भूखा रखना है, उसकी अन्य जांच के बाद कैसे उसकी नसबंदी करना है।

दो स्थानों पर बनेंगे स्टरलाइजेशन सेंटर
छत्तीसगढ़ राज्य की बात करें तो यहां रायगढ़ और कोरिया दो जिलों में मंकी स्टरलाईजेशन सेंटर बनाया जाना है। पहले रायगढ़ का कार्य शुरू हो जाएगा, उसके बाद कोरिया में यही टीम काम कर वहां के स्टॉफ को प्रशिक्षण देगी। रायगढ़ में भी बंदरों का काफी आतंक बढ़ चुका है। हालत यह है कि यहां रामझरना और उसके आसपास के क्षेत्रों में बंदरों का आतंक काफी बढ़ गया है।

-मंकी स्टरलाईजेशन सेंटर का काम पूरा हो चुका है। टीम भी प्रशिक्षण लेकर लौट आई है। आचार संहिता के चलते कुछ काम रुका है। इसके बाद जल्द ही इसे शुरू करा दिया जाएगा- मनोज पाण्डेय, डीएफओ , रायगढ़