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छत्तीसगढ़ चुनाव ड्यूटी में शामिल होने आए जवानों ने खाने को डस्टबिन में फेंका, जानें क्या थी वजह…

- मुनाफे के लालच में बनाया घटिया खाना

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छत्तीसगढ़ चुनाव ड्यूटी में शामिल होने आए जवानों ने खाने को डस्टबिन में फेंका, जानें क्या थी वजह...

छत्तीसगढ़ चुनाव ड्यूटी में शामिल होने आए जवानों ने खाने को डस्टबिन में फेंका, जानें क्या थी वजह...

रायगढ़. रायगढ़ रेलवे स्टेशन में शनिवार दोपहर तीन बजे हुए हंगामे ने रेलवे प्रबंधन द्वारा यात्रियों को मुहैय्या कराई जा रही घटिया सुविधाओं की पोल खोलकर रख दिया। दरअसल छत्तीसगढ़ चुनाव ड्यूटी में शामिल होने एक स्पेशल ट्रेन से सेना के जवान रांची से दुर्ग जा रहे थे। यह ट्रेन दोपहर तीन बजे रायगढ़ रेलवे स्टेशन के दो नंबर प्लेटफार्म में रुकी। क्योंकि यहां जवानों को दोपहर का खाना और पानी दिया जाना था।

इस खाने को परोसने की जिम्मेदारी रेलवे प्रबंधन ने जिस कैंटीन संचालक को दी थी उसने मुनाफे के लालच में इतना घटिया खाना बनाया कि खाने का स्वाद लेते ही सभी जवानों ने खाने को डस्टबिन में फेंक दिया और जमकर विरोध जताया। इतना ही नहीं जवानों ट्वीटर सोशल नेटवर्किंग साइट के माध्यम से इसकी शिकायत प्रधानमंत्री, रेलमंत्री और डीआरएम तक से की है। इस घटना के बाद से रेलवे के सभी जिम्मेदार अधिकारी चुप हैं। हालत यहां तक है कि रेलवे के सीपीआरओ संतोष कुमार और पीसी त्रिपाठी का सरकारी नंबर तक बंद रहा।

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रेलवे प्रबंधन मुनाफे के लालच में किसी को भी खाने पीने की कैंटीन की जिम्मेदारी सौंप दे रहा है। यही हाल उसके अन्य सुविधाओं के संचालन का भी है। इससे रेलवे प्रबंधन को तो मुनाफा हो जाता है, लेकिन इसका खामियाजा रेलवे में सफर करने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ता है। नियम के तहत रेलवे प्रशासन को अपने यात्रियों को सभी सुविधाएं बेहतर तरीके से मुहैय्या कराना है, लेकिन ठेका पद्धति के चलते अब यात्री इस सुविधा को लेने से भी डरने लगे हैं। कुछ ऐसा ही चुनाव ड्यूटी के लिए रांची से दुर्ग जा रहे सीआरपीएफ के जवानों के साथ हुआ। जब वह रायगढ़ रेलवे स्टेशन पहुंचने और रेलवे प्रबंधन ने उन्हें कैंटीन से खाना खिलाया। कुछ जवानों ने बताया कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव को देखते हुए उन्हें रांची से दुर्ग स्पेशल ट्रेन से बुलाया गया है।

इस स्पेशल ट्रेन में सीआरपीएफ के लगभग २ हजार जवान सवार थे। दोपहर तीन बजे जैसे ही जवानों के सामने रेलवे का खाना आया भूख के मारे जवानों ने तुरंत स्टेशन में ही खाना शुरू कर दिया, लेकिन जैसे ही एक निवाला उनके मुंह में गया खाने का स्वाद देख जवान एक के बाद एक खाने का पैकेट प्लेटफार्म में ही रखे डस्टबीन में डालने लगे। यह मामला यहीं तक नहीं रुका। भूखे जवानों ने इसका विरोध भी जताया और इसकी शिकायत रेलवे के अधिकारियों सहित अपने विभागीय अधिकारियों से भी की।

घरेलू गैस सिलेंडर में पकाया जा रहा खाना
मामले की शिकायत होने के बाद जब कुछ लोग रेलवे की कैं टीन पहुंचे तो देखा कि कैंटीन प्रबंधन की हद सिर्फ घटिया खाना बनाने तक ही नहीं बल्कि उसके द्वारा द्वारा कमर्शियल गैस सिलेंडर की जगह घरेलु गैस सिलेंडर से खाना बनाने की भी अनियमितता की जा रही है। लोगों ने जब इसका विरोध किया तो कैंटीन प्रबंधन ने कमर्शिलय गैस सिलेंडर की सप्लाई न हो पाने का दावा कर डाला। इससे साफ है कि संचालक कितना शातिर है।

सोसल मीडिया में आग की तरफ फैली खबर
सीआरपीएफ के जवान जब एक के बाद एक खाने को डस्टबीन में डाल रहे थे तभी वहां मौजूद कुछ जागरूक नागरिकों ने इसकी फोटो और वीडियो बना ली। उन्होंने उस फोटो और वीडियो को सोसल मीडिया में वायरल कर रेलवे प्रबंधन की व्यवस्था की जमकर धज्जियां उड़ाई। देखते ही देखते जवानों के साथ-साथ कुछ सोसल मीडिया एक्टिविस्ट ने मामले की शिकायत ट्यूटर के माध्यम से पीएमओ, निर्वाचन आयोग, रेलमंत्री व डीआरएम से भी कर डाली।

अन्य फूड स्टॉलों का भी कुछ ऐसा ही हाल
रायगढ़ रेलवे स्टेशन में छोटी-छोटी दुकानों को भी ठेके पर दिया गया है। इन दुकानों में खाने-पीने की सामग्री बेची जाती है। मुनाफे के लालच में यह सभी दुकान संचालक घटिया क्वालिटी का पानी बॉटल सहित घटिया खाद्य सामग्री भी बेच रहे हैं। जबकि उन्हें रेल नीर की ब्रिकी के साथ ही ताजा व अच्छी क्वीलिटी की खाद्य सामग्री बेचना है। इतना ही नहीं इन स्टॉल संचालकों की दुकान में रेट लिस्ट तो लिखी है, लेकिन उनके द्वारा अधिक दर पर सामान बेचकर यात्रियों को ठगा जा रहा है।

-रेलवे गार्ड के माध्यम से ट्रेन में सवार जवानों को गुणवत्ता युक्त खाना नहीं मिलने की जानकारी मिली है। जानकारी मिलने के बाद इस बात से विभागीय अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। पीके राऊत, स्टेशन मास्टर, रायगढ