
निगम के अधिकारियों को दिया ये आदेश
रायपुर। Lok Adaalat : जिला न्यायालय में शनिवार को जिला न्यायाधीश अब्दुल ज़ाहिद कुरैशी ने नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ किया। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव प्रवीण मिश्रा, जिला अधिवक्ता संघ अध्यक्ष आशीष सोनी, सभी न्यायाधीशगण, पक्षकारगण, न्यायालयीन कर्मचारीगण और पैरालीगल वालेंटियर्स उपस्थित रहे।
इस अवसर पर कोर्ट परिसर में गुरूद्वारा धन-धन बाबा साहिब तेलीबांधा द्वारा नि:शुल्क लंगर की व्यवस्था की गई थी। वहीं स्वास्थ्य विभाग के द्वारा नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर, समाज कल्याण विभाग द्वारा 27 दिव्यांगजन को उपकरण वितरित किया गया।
अनापत्ति प्रमाण पत्र देने के लिए माने अधिकारी: कारोबारी द्वारा अपना घर गिरवी रखकर किस्त की रकम अदा करने के बाद भी फाइनेंस कंपनी ने एनओसी नहीं दिया। परेशान होकर कारोबारी ने कोर्ट में याचिका लगाई। जहां लोक अदालत के दौरान न्यायिक मजिस्ट्रेट पल्लव रघुवंशी ने फाइनेंस कंपनी के अधिकारियों को समझाया कि किसी का रोजगार मत छीनो।
कारोबारी ने ईमानदारी से रकम का भुगतान किया है। न्यायाधीश की समझाइश पर फाइनेंस कंपनी के अधिकारी एनओसी देने पर राजी हो गए। रायपुर के ट्रांसपोर्टर महेश कुमार (परिवर्तित नाम) ने ट्रक खरीदने के लिए 2016 में फाइनेंस कंपनी से लोन लिया था। कोरोना संक्रमण के दौरान आर्थिक स्थित खराब होने पर किश्त की रकम नहीं दे पाया। इसके चलते कंपनी ने वाहन जब्त कर लिया गया था। इसके बाद कारोबारी ने अपना मकान गिरवी रखकर 4 लाख रुपए का भुगतान किया था।
5 स्थानों में मोहल्ला लोक अदालत
अब्दुल हमीद वार्ड, शहीद पंकज विक्रम वार्ड, मोरेशवर राव गेडरे, चन्द्रशेखर आजाद और श्यामाप्रसाद मुखर्जी वार्ड में मोहल्ला लोक अदालत हुआ। इस दौरान अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ड़ॉ मनोज प्रजापति को नागरिकों ने नल, नाली, साफ-सफाई और विभिन्न समस्याओं का जानकारी दी। जिसका उन्होंने तत्काल निराकरण करने नगर निगम अधिकारियों को निर्देश दिए।
तलाक के केस का हुआ खत्मा
वहीं कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश हेमंत सराफ की अदालत में किशन और उसकी पत्नी सीमा (परिवर्तित नाम) अपने 4 वर्षीय पुत्र को लेकर तलाक लेने के लिए पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने बताया कि रायपुर के आर्य समाज मंदिर में 12 दिसंबर 2015 को दोनों ने प्रेम विवाह किया था। विवाह के कुछ समय बाद ही दोनों के बीच विवाद होने लगा। 2022 से वह अलग रहते हैं। इस दौरान दोनों के बहस करने पर उनका बेटा रोने लगा। यह देखकर न्यायाधीश ने उन्हें समझाइश देते हुए कहा कि विवाद के चलते अबोध बालक दोनों के स्नेह से वंचित रह गया है। न्यायाधीश की समझाइश पर दोनों साथ रहने का वादा करते हुए बच्चे को लेकर घर लौट गए।
फैक्ट फाइल
श्रम न्यायालय - 31 प्रकरण, अवार्ड राशि 13 लाख 86 हजार 625
राजस्व न्यायालय - 89 हजार 519 प्रकरण, समझौता राशि 1 करोड़ 01 लाख 22 हजार 980
प्री-लिटिगेशन एवं नगर निगम - 36 हजार 764 प्रकरण में निराकरण राशि 39 करोड़ 21 लाख 64 हजार 320
जनोउपयोगी सेवा- 22 हजार 460 प्रकरण, निराकृत राशि 25 लाख 70 हजार 892
न्यायालयों में लंबित 10 हजार 162 प्रकरण, समझौता राशि 46 करोड़ 55 लाख 47 हजार 323 रुपए
जिला उपभोक्ता आयोग - 93 प्रकरण में 1 करोड़ 29 लाख 18 हजार 142 रुपए पारित
Published on:
10 Sept 2023 02:27 pm
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