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Nursing student suicide: नर्सिंग की छात्रा के चेहरे पर बंधा था प्लास्टिक, मां कमरे में पहुंची तो नजारा देख उड़े होश, मौत बीएससी नर्सिंग में प्रवेश के लिए हर साल इंट्रेंस एग्जाम होता है, जो केवल औपचारिकता साबित हो रही है। औपचारिकता इसलिए क्योंकि दो या तीन राउंड के बाद सीटें खाली रहने पर जीरो परसेंटाइल से प्रवेश देने की मांग की जाती है। यह मांग शासन स्वीकार कर लेती है और सीएमई, डीएमई के माध्यम से इंडियन नर्सिंग काउंसिल भी इसे मंजूरी दे देती है। दरअसल शासन को इंट्रेंस एग्जाम कराने की मजबूरी है। कोई भी प्रोफेशनल कोर्स के लिए इंट्रेंस एग्जाम अनिवार्य है।
ऐसा नहीं होता तो इंट्रेंस एग्जाम ही न हो और 12वीं बायोलॉजी में मिले नंबरों के अनुसार एडमिशन दे दिया जाता। हालांकि 4-5 साल पहले ऐसा भी हो चुका है। निजी नर्सिंग कॉलेज संघ की मांग पर अब तक आईएनसी को दो पत्र लिखा जा चुका है। एक पत्र 20 जून को सीएमई जेपी पाठक व 25 अक्टूबर को डीएमई डॉ. यूएस पैकरा लिख चुके हैं। अभी आईएनसी से इसे मंजूरी नहीं दी है, लेकिन देर सबेर इसकी मंजूरी मिलनी तय है।
ऑफर से लेकर फीस
कम कर रहे कॉलेज
बीएससी कोर्स की ये हालत हो गई है कि कुछ कॉलेज छात्रों को कई ऑफर देते रहे हैं। यहां तक कि 52 से 58 हजार सालाना ट्यूशन फीस से भी कम फीस ली जा रही है। इसके बाद भी सीटें नहीं भर रही है। पिछले साल जीरो परसेंटाइल से प्रवेश के बाद भी 900 से ज्यादा सीटें खाली रहीं। पहले के वर्षों में औसतन 20 फीसदी सीटें खाली रही हैं। दरअसल राजधानी समेत दूरदराज इलाकों में कुकुरमुत्ते की तरह
नर्सिंग कॉलेज खुले हैं, जहां न ढंग का इंफ्रास्ट्रक्चर है और न फैकल्टी। यहां तक कि प्रेक्टिकल के लिए लैब भी नहीं है। न संबद्ध अस्पताल है। ऐसे में इन कॉलेजों की सीटें खाली रह जाती हैं। ऐसे ही कॉलेज छात्रों को ऑफर दे रहे हैं और फीस कम करने के बाद भी छात्रों के लाले पड़ रहे हैं। राजधानी के कुछ निजी कॉलेजों की भी सीटें खाली रह जाती हैंं।
रिटायर्ड डीएमई डॉ. विष्णु दत्त ने कहा प्रोफेशनल कोर्स के लिए इंट्रेंस एग्जाम जरूरी है। पिछले कई साल से बीएससी नर्सिंग में जीरो परसेंटाइल से प्रवेश दिया जा रहा है। इससे पढ़ाई की क्वालिटी गिर रही है। शासन ने एक आदेश में ऐसा कहा भी है। इसके बावजूद जीरो परसेंटाइल से प्रवेश दिया जा रहा है। कॉलेजों की गुणवत्ता सुधारने की जरूरत भी है।