इससे कुम्हारों के मिट्टी के मटके, सुराही, बोतल बनाने के धंधे में तेजी आई है। बाजार में एक मटका 80 से 100 रुपए में बिक रहा है। राजस्थान के मिट्टी के रंगीन मटकों की कीमत 400 से 500 रुपए है। अब नल वाले मटके आने लगे हैं। उल्लेखनीय है कि मिट्टी के मटके में पानी ठंडा रहता है। इस कारण लोग इसे ज्यादा पसंद करते हैं। बढ़ गया मटकों का रेट शहर में स्थानीय कुम्हारों के बनाए घड़ों के अलावा ओडिशा और राजस्थान से भी माल आ रहा है। राजस्थान के रंगीन घड़ों की डिमांड ज्यादा है। उसका रेट भी ज्यादा है। मटकों का रेट 5 से 10 रुपए तक बढ़ा है।

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पूरन चक्रधारी ने बताया कि इस सीजन में अब तक 500-600 मटके बना लिए है। अक्षय तृतीया पर भी घड़ों की मांग ज्यादा रहती है। राजूराम कुंभकार ने बताया ने बताया कि पूरे गांव में हर साल करीब एक लाख मटका बनता है। करीब 50 मटके बनाकर तैयार हैं। लॉकडाउन के दौरान मुश्किल से 5 हजार मटके बेचे थे। बढ़ जाता है भाव गांव ने निकलकर शहर में आते ही मटके का भाव दोगुना-तीनगुना तक हो जाता है। गांव के कुम्हार व्यापारी को प्रति घड़ा 35 से 40 रुपए में देते हैं, जिसे कारोबारी शहर में ये 80 से 100 रुपए में बेचते हैं। इसके अलावा नल लगा मटका 150 रुपए, सुराही 120 से 150 रुपए , मिट्टी के बोतल 130 से 160 रुपए व राजस्थान से आये रंगीन मटके की कीमत 400 से 500 रुपए तक बिक रहा हैं।