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CG Election 2023: इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर…. हारे तो राजनीतिक भविष्य अधर में!

CG Election 2023: विधानसभा चुनाव में कई नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।

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cg election 2023 विधानसभा चुनाव में कई नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि इस चुनाव में हार और जीत के साथ ही इन नेताओं के राजनीतिक कॅरियर में उतार-चढ़ाव होना तय है। बस्तर की 12 सीटों में से सात ऐसी सीटें हैं जहां इस बार दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। यह सभी सीटें हॉटसीट बनी हुई हैं।

इन पांच सीटों पर दिग्गजों की जीत-हार पर सभी की नजर है। मंत्री कवासी लखमा कोंटा से छठवीं बार चुनाव मैदान में हैं तो वहीं नारायणपुर से पूर्व मंत्री केदार कश्यप अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। कहा जा रहा है कि केदार के लिए यह चुनाव उनके आगे की राजनीति को तय करेगा। वहीं राजनांदगांव में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह फिर मैदान में हैं तो खैरागढ़ सीट से कांग्रेस की यशोदा वर्मा को फिर कांग्रेस ने टिकट दिया है।

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डोंगरगांव में कांग्रेस प्रत्याशी दलेश्वर साहू तीसरी बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। इनकी भी प्रतिष्ठा दांव पर है।

मोहला-मानपुर से कांग्रेस प्रत्याशी इंद्रशाह मंडावी को भी कांग्रेस ने दोबारा मौका दिया है।

डोंगरगढ़ में पूर्व विधायक विनोद खांडेकर भाजपा से प्रत्याशी हैं। राजनीतिक अनुभव रखते हैं। इनके विरुद्ध कांग्रेस से जिला पंचायत सदस्य हर्षिता स्वामी बघेल चुनाव लड़ रहीं हैं। हर्षिता राजनीति में नया चेहरा है।

खैरागढ़ सीट में विधायक यशोदा वर्मा कांग्रेस की प्रत्याशी हैं। वहीं भाजपा से विक्रांत सिंह प्रत्याशी हैं। विक्रांत लंबे समय से टिकट की मांग कर रहे थे।

खुज्जी विधानसभा में पूर्व विधायक भोला राम साहू को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है। भाजपा से जिला पंचायत अध्यक्ष गीता साहू चुनाव लड़ रहीं हैं।

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कोंटा: लखमा के सामने भाजपा के अलावा कुंजाम की चुनौती

बस्तर में कोंटा पर सीट पांच बार के विधायक कवासी लखमा के सामने भाजपा के अलावा सीपीआई नेता और मौजूदा समय में निर्दलीय चुनाव लड़ रहे मनीष कुंजाम हैं।

बीजापुर: पिछला चुनाव हारे पूर्व मंत्री गागड़ा फिर मैदान में

यहां पिछला चुनाव हार चुके पूर्व मंत्री महेश गागड़ा फिर चुनावी मैदान में हैं। यह चुनाव महेश के लिए भी बेहद जरूरी है। उन्हें विधायक विक्रम मंडावी से चुनौती मिल रही है।

चित्रकोट : पीसीसी चीफ बैज के भाग्य का फैसला भी आज

पीसीसी चीफ दीपक बैज भी यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। दीपक का यह तीसरा विधानसभा चुनाव है। वे फिलहाल बस्तर के सांसद भी हैं।

नारायणपुर: पूर्व मंत्री केदार का सब कुछ लगा दांव पर

नारायणपुर में पूर्व मंत्री केदार कश्यप का पूरा राजनीतिक करियर दांव पर बताया जा रहा है। यह चुनाव केदार और परिवार के लिए अहम है।

कोण्डागांव: एक मौजूदा तो एक पूर्व मंत्री के बीच मुकाबला
कोण्डागांव सीट पर पूर्व पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम और पूर्व मंत्री लता उसेंडी के बीच सीधा मुकाबला है। यहां की जनता अब तक के चुनाव में दोनों को हर पांच साल में बराबर मौका देती रही है।

केशकाल: आईएएस की नौकरी छोड़ चुनाव लड़ रहे नीलकंठ

कोण्डागांव के पूर्व कलेक्टर नीलकंठ टेकाम भी नौकरी छोड़कर यहां चुनाव लड़ रहे हैं। टेकाम को यहां पर विधानसभा उपाध्यक्ष संतराम नेताम से कड़ी चुनौती मिल रही है।

अंतागढ़: सांसद विक्रम उसेंडी त्रिकोणीय संघर्ष में फंसे

पूर्व मंत्री और सांसद विक्रम उसेंडी चुनाव लड़ रहे हैं। यहां त्रिकोणीय संघर्ष हैं। कांग्रेस से टिकट कटने से नाराज अनूप नाग निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी से उन्हें चुनौती मिल रही है।

राजनांदगांव: डॉ. रमन के सामने बघेल के करीबी

डॉ. रमन सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर है। डॉ. रमन 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे हैं। वें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। कांग्रेस प्रत्याशी गिरीश देवांगन भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेहद करीबी माने जाते हैं।

कवर्धा: अकबर के सामने भाजपा की कड़ी चुनौती

यहां से कांग्रेस के कद्दावर नेता मो. अकबर मैदान में हैं। वें मंत्री भी हैं। वहीं भाजपा से विजय शर्मा से उनको कड़ी टक्कर मिल रही है।

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